लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी

राज्य मुख्यालय लखनऊ। राफ़ेल विमान को लेकर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को घेरते चले आ रहे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के कई रूप रंग देश की जनता को देखने को मिले जैसे वह सड़क पर आम कार्यकर्ता की तरह दिखाई दिए और बैरेकेटिंग पर भी चढ़ते दिखाई दिए लोधी स्टेट के नज़दीकी थाने में बैठे मिले और बहुत कुछ ऐसा दिखाई दिया जो कम से कम कांग्रेस के नेताओं से उम्मीद नही की जा सकती थी गोदी मीडिया तो हैरत भरी नज़रों से देख ही रही थी साथ ही वह भी उसी नज़रों से देख रहे थे और विचार-विर्मश करने को विवश थे जो कांग्रेस को काफ़ी दिनों से कवरेज करते आ रहे है वह कहते नज़र आए कि इस कांग्रेस को जुमलों के बादशाह नही हरा सकेंगे जिस तरह से वह कांग्रेस को देशहित के मुद्दों पर सत्ता से लड़ने वाली कांग्रेस बनाने लगे है उसे देख मोदी की भाजपा भी भयभीत नज़र आने लगी है शुरूआती दौर में जब राहुल गांधी ने राफ़ेल विमान में कथित तौर पर घोटाले के बारे में आरोप लगाए थे तब मोदी व उसकी सरकार राहुल गांघी को व राफ़ेल विमान में हुए घोटाले के आरोपो को नकार रही थी लेकिन राहुल गांघी अकेले ही इस मुद्दे पर अंडे रहे और जानकारियाँ जुटाते रहे उसके बाद राहुल ने सीधे अनिल अंबानी को टारगेट किया कि देश के चौकीदार ने अपने मित्र जो देश के पहले ही 45 हज़ार करोड़ के क़र्ज़दार है को फ़ायदा पहुँचाने के लिए तीस हज़ार करोड़ का लाभ पहुँचाया है उन्हें इसका ठेका दिलाया इसको भी मोदी व सरकार ने नकार दिया लेकिन राहुल गांधी के इस आरोप में तब जान पड़ी जब फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद ने एक मैगज़ीन को दिए बयान में कहा कि हाँ हमारे सामने अंबानी को चुनने के अलावा कोई और मौक़ा ही नही था क्योंकि भारत की सरकार चाहती थी कि राफ़ेल विमान बनाने का ठेका अनिल अंबानी को ही मिले बस यही से राहुल गांधी ने इस मुद्दे को और तेज़ करने की रणनीति बनाई और मोदी सरकार इस मुद्दे पर बचाव की मुद्रा में आती दिखने लगी उसी का परिणाम है कि राहुल गांधी ने CBI के निदेशक को हठाने के मोदी सरकार के फ़ैसले का विरोध करने सड़क पर उतर आए और उनको हठाने को भी राफ़ेल विमान में हुए कथित घोटाले से जोड़ दिया उनका आरोप है कि मोदी सरकार में राफ़ेल विमान में हुए घोटाले की जाँच का सामना करने की हिम्मत नही है राहुल गांधी का आरोप है कि CBI के निदेशक राफ़ेल विमान ख़रीद के दस्तावेज़ जुटा रहे थे कि क्या राफ़ेल विमान ख़रीद में घोटाला हुआ इसकी जानकारी सरकार को हुई और सरकार ने उनको हटाने का तानाबाना बनाना शुरू कर दिया उसी तानेबाने का नतीजा है निदेशक को छुट्टी पर भेज दिया और अपने आँगन के दरबारी नागेश्वर राव को नियुक्त कर दिया इसी को ग़लत बताते हुए राहुल गांधी पूरी कांग्रेस को सड़क पर ले आए राहुल गांधी के इस आक्रम्रक रूप को देख हिटलर सरकार के पैरों की ज़मीन हिलती नज़र आई जो गोदी मीडिया हर टाइम मोदी चालीसा पढ़ने में मशगूल रहता है वह भी दंग रह गया ख़ैर कांग्रेस को इसी तरह मज़बूती से अपनी बात कहनी होगी तभी गूँगी बहरी सरकार यह बात समझ पाएगी कि विपक्ष को भी नीतिगत मामलों में नज़रअंदाज़ नही किया जा सकता अब तो यह सरकार सिर्फ़ दो लोगों के ही फ़ैसलों पर विर्धारित है। यहाँ यह बात भी बताना ज़रूरी है कि ऐसा नही है मोदी की भाजपा ही अंबानी-अडानी के हितो को ध्यान में रखकर चलती है इससे पहले भी जब भाजपा की सरकार थी तब भी यही सब हुआ करता था।देश के इतिहास में जब पहली बार 1998 में किसी CBI चीफ को हटाया गया तब अटल सरकार थी और मामला धीरूभाई अम्बानी का था,अब एकबार फिर किसी अम्बानी की वजह से CBI चीफ को हटाया गया है।पहले बाप की वजह से अब बेटे के लिए इससे साबित होता है कि भाजपा का अम्बानियों से विशेष लगाव है। कांग्रेस नेता के इस तरह के रूख से मिशन 2019 के परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा राहुल यह संदेश देने में कामयाब रहे है कि अब पहले वाली कांग्रेस नही है यह प्यार भी करेगी ग़लत बात पर विरोध भी करेगी जनता कांग्रेस को सत्ता वाली कांग्रेस ही मानती थी ओर यह ग़लत भी नही था ऐसी ही कांग्रेस होती थी सिर्फ़ सत्ता का मज़ा लेती थी बाक़ी उसे इस तरह के कामों से कोई सरोकार नही रहता था रहता भी कैसे देश में सबसे ज़्यादा सत्ता में वही रही मोदी की भाजपा विपक्ष में रही उसे सत्ता चलानी नही आती और कांग्रेस को विपक्ष की भूमिका निभाना नही आता था कांग्रेस ने राहुल गांधी के नेतृत्व में यह भी सीख लिया है परन्तु मोदी की भाजपा सत्ता चलाना नही सीखी है इसी की वजह से सरकार चलाना भारी हो रहा है चाहे डालर मज़बूत होने का मामला हो या बढ़ती महँगाई को नियंत्रण करने का मामला हो या कोई भी नीतिगत मामले हो हर मामले पर फ़ेल साबित हुई है।