नई दिल्ली: कोर्ट के त्रिस्तरीय व्यवस्था में लंबित करोड़ों मामलों को जल्द निपटाने के लिए देश के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने वर्किंग डे के दौरान 'नो लीव' का फार्मूला निकाला है. 'द टाइम्स आॅफ इंडिया' के अनुसार जस्टिस रंजन गोगोई ने 3 अक्टूबर को देश के चीफ जस्टिस पद की शपथ लेने के तुरंत बाद हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और ट्रायल कोर्ट में लंबित करोड़ों मामलों को जल्द निपटाने के लिए ठोस कदम उठाने का संकेत दिया था.

रिपोर्ट के अनुसार, इसके एक हफ्ते के अंदर उन्होंने इस मामले पर हर हाईकोर्ट के कॉलीजियम मेंबर्स के साथ चर्चा की. इसके साथ ही उन्होंने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को यह सलाह दी है कि जो जज कोर्ट की कार्यवाही के दौरान नियमित नहीं हैं, उन्हें न्यायिक कार्य से हटाया जाए. गोगोई ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से उन जजों के बारे में जानकारी मांगी है जो कोर्ट की कार्यवाही के दौरान अनुशासन की अवहेलना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ऐसे जजों से व्यक्तिगत रुप से बातचीत करेगा.

सीजेआई ने हाईकोर्ट या लोवर कोर्ट के किसी जज या न्यायिक अधिकारी को आपातकालीन स्थिति के अलावा 'वर्किंग डे' में ​छुट्टी न मंजूर करने की सलाह दी है. साथ ही उन्होंने जजों को 'वर्किंग डे' में सेमिनार या आधिकारिक कार्यक्रम से दूर रहने की नसीहत दी. क्योंकि इसके कारण कोर्ट का समय बर्बाद होता है. जस्टिस गोगोई कोर्ट और केस के प्रति अपने समर्पण के लिए जाने जाते हैं.

सीजेआई ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और खत के जरिए कोर्ट के वर्किंग डे के दौरान जजों के एलटीसी लेने पर भी रोक लगा दी है. इसके कारण अब जजों को अगर छुट्टी लेनी होगी तो उन्हें बहुत पहले ही प्लान करना होगा. सीजेआई गोगोई ने वरिष्ठ जजों से न्यायपालिका में बड़े पैमाने पर खाली पदों को भरने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि निचली अदालतों में केस के तेजी से निपटारे के लिए लगातार मॉनिटरिंग की जरूरत है. देश की निचली अदालतों में करीब 2.6 करोड़ मामले लंबित हैं.