लखनऊ: महात्मा गांधी की 150वीं जयंती की थीम पर आधारित और पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयी, गीतकार नीरज व मुनि तरुणसागर को समर्पित राणाप्रताप मार्ग मोतीमहल लान में चल रहा सोलहवां राष्ट्रीय पुस्तक मेला पूरी तरह गांधीमय है। यहां गांधी साहित्य को खंगालने-सहेजने का क्रम मेले की शुरुआत से चल रहा है। दि फेडरेशन आॅफ पब्लिशर्स एण्ड बुकसेलर्स एसोसिएशन्स इन इण्डिया, नई दिल्ली के सहयोग से हो रहे के.टी.फाउण्डेशन व फोर्सवन का यह आयोजन महात्मा गांधी की 150वीं जयंती की थीम पर आधारित है।

गांधीमय मेले में सुभाष पुस्तक के स्टाल पर उनकी आत्मकथा के साथ ही रामचन्द्र गुहा की हिन्दी अंग्रेजी में भारत गांधी के बाद व गांधी भारत से पहले जैसी किताबें हैं। प्रकाशन विभाग के स्टाल पर कनु गांधी, आभा गांधी, केजी सईदैन, जेएम उपाध्याय, जेएल उप्पल, जोसेफ जे, यूआर राय, बीआर नन्दा व विनसेण्ट शीन की लिखी होमेज टू महात्मा जैसी कई शोधपरक किताबें हैं। प्रभात के स्टाल पर एन आटोबाईग्राफी, चम्पारन में महात्मा गांधी, अरविंद मोहन की चम्पारन, गणेश मंत्री की गांधी और अम्बेडकर व चम्पारन आंदोलन-1917 जैसी किताबें हैं। सामयिक के स्टाल पर व्यक्तित्वों पर केन्द्रित शृंखला में शरद सिंह की लिखी महात्मा गांधी पुस्तक है तो सभरवाल बुक के स्टाल पर अन्य पुस्तकों के बीच नाथूराम गोडसे की मैंने गांधी का वध क्यों किया? जैसी पुस्तक भी है। राजपाल के स्टाल पर मेर सपनो का भारत, हिन्द स्वराज, सत्य के प्रयोग के साथ शंकर शरण की गांधी के ब्रह्मचर्य के प्रयोग और गांधी के प्रेरणात्मक विचार जैसी किताबें हैं।

मेले के गांधी बाल एवं युवा मंच पर ज्योतिकिरन रतन के संयोजन में आज चली प्रतियोगिताओं में नीलादरी सेहाय, अवंतिका, निरमालय, वराली गुप्ता, रिचा, अंकित, आनवी, मासूम, कुलसुम, अदावन, स्वरा त्रिपाठी, अश्वित रतन, फैजल जौनपुार, गोविन्द, अदिति ने भाग लिया। शुभम अवस्थी ने यहां भरतनाट्यम की दर्शनीय प्रस्तुति दी। इसी मंच पर कथाकथन के लखनऊ चैप्टर की प्रभारी नूतन वशिष्ठ के संग विवेक श्रीवास्तव, सोम गांगुली जैसे आकाशवाणी कलाकारों ने मण्टो की लानत है ऐसी दवा पर और पे्रमचन्द की बूढ़ी काकी कहानी का श्रवणीय सजीव पाठ श्रोताओं के समक्ष किया।

आज के साहित्यिक आयोजनों में सुबह नवसृजन के सम्मान समारोह व काव्यगोष्ठी में नीरजा द्विवेदी, डा.अमिता दुबे, आस्था ढल, अमिता सिंह को सम्मानित किया गया। यहां हरीश उपाध्याय, मुकेशकुमार मिश्र, राजेश सजल, कुमार तरल, देवेश द्विवेदी, भारती अग्रवाल आदि के साथ अतिथियों ने रचनाएं पढ़ीं। इसके उपरांत अक्षत थापा की किताब मोटीवेशनल थाॅट और प्रदीप अग्रवाल की कृति मदन माधुरी पर चर्चा हुई। समापन रेवान्त पत्रिका की ओर से आयोजित काव्यगोष्ठी से हुआ।