हमीरपुर : परमार्थ समाज सेवी संस्थान ने पीडब्ल्यूसी इण्डिया फाउन्डेशन के सहयोग से उत्तरप्रदेश के बुन्देल खंड क्षेत्र में स्थित हमीरपुर सरीला ब्लाॅक के 10 गांवों में एक ह्युमेनिटेरियन रिस्पाॅन्स प्रोजेक्ट की शुरूआत की। अपने कार्यान्वयन के एक साल के अंदर यह परियोजना सूखे की समस्या से निपटने में कारगर रही है और अब तक इन गांवों के 2025 परिवार इस योजना से लाभान्वित हो चुके हैं।

परियोजना से जुड़े गांवों में समुदाय के सदस्यों को कृषि की स्थायी एवं बेहतर प्रथाओं के बारे में जागरुक बनाने के लिए इस परियोजना को जून 2016 से जुलाई 2017 तक कार्यान्वित किया गया। इसके लिए परमार्थ टीम ने नियमित बैठकों, प्रशिक्षणों, क्षमता निर्माण सत्रों अैर प्रदर्शनों का आयोजन किया। एक रिर्पोट ‘Reducing Hunger and Vulnerabilities in Hamirpur, Uttar Pradesh’ के माध्यम से समाज से जुड़े मुख्य मुद्दों, इन्हें हल करने के लिए समाधानों पर रोशनी डाली गई। परियोजना का एक साल पूरा होने के बाद हासिल किए गए परिणामों के बारे में भी बताया गया।

रिपोर्ट लाॅन्च करते हुए पीडब्ल्यूसी इण्डिया फाउन्डेशन के वाईस चेयरमैन जयवीर सिंह ने कहा, ‘‘फाउन्डेशन में हम ऐसे क्षेत्रों पर ध्यान देते हैं जिन्हें निजी क्षेत्र से सीमित सहयोग मिलता है। हम उनके विकास से जुड़ी चुनौतियों के लिए प्रासंगिक समाधान उपलब्ध कराते हैं। इस रिपोर्ट में हमारे साझेदार संगठन और समुदाय द्वारा किए गए सराहनीय कार्यों, उनकी चुनौतियों और कामयाबियों के बारे में बताया गया है। रिपोर्ट में इस बात पर रोशनी डाली गई है कि कैसे सूखे की समस्या का समाधान इन लोगों की आजीविका को बेहतर बना रहा है।’’

आज परियोजना के तहत गठित पानी पंचायत या जल प्रबंधन समूहों के 90 फीसदी सदस्य सूखे से निपटने के लिए स्थायी कृषि प्रथाओं के बारे में जानते हैं। इसके अलावा परियोजना ने आठ वर्षा जल संचयन संरचनाओं के निर्माण के लिए सहयोग दिया है, जिससे 4950 क्युबिक मीटर पानी इकट्ठा किया गया है। इस पानी का इस्तेमाल सिंचाई एवं भूमिगत जल का स्तर बढ़ाने के लिए किया जाता है।

परमार्थ समाज सेवी संस्थान के संस्थापक संजय सिंह ने कहा, ‘‘समुदायों को सशक्त बनाने के लिए जागरुकता बढ़ाना बेहद ज़रूरी है। तीन सालों से हमीरपुर ज़िले के लोग सूखे का सामना कर रहे हैं। पीडब्ल्यूसीआईएफ के सहयोग से हमने इनकी समस्या को पहचाना और समुदाय के सदस्यों का क्षमता निर्माण कर, क्षेत्र विशिष्ट योजना बनाई तथ इन्हें अंजाम दिया गया। क्षेत्र के लोग अब स्थायी कृषि प्रथाओं के इस्तेमाल के कारण सूखे की समस्या का सामना कर पाते हैं, अब वे धीरे-धीरे इस समस्या से उबर रहे हैं।’’

गांवों की दूर-दराज की स्थिति, उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि, सिंचाई सुविधाओं की कमी, मृदा अपरदन के बढ़ते स्तर और लगातार तीन सालों से सूखा जैसे सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए 10 गांवों का चयन किया गया। भूमिगत जल का स्तर 70 फीसदी तक गिर जाने के कारण ये ग्रामीण गंभीर स्थिति में आ गए थे। ऐसे में इन्हें भुखमरी से बचाने केे लिए जल संचयन और प्रबंधन समय की मांग थी।

परियोजना के सकारात्मक प्रभाव को देखते हुए पीडब्ल्यूसीआईएफ ने इसी ब्लाॅक के गांव धारौपुर में जल, सेनिटेशन एवं हाइजीन के लिए एक और पहल की शुरूआत की है। शौचालयों के निर्माण, मरम्मत एवं नवीनीकरण के लिए आवश्यक सहयोग के अलावा यह परियोजना गांव के हर परिवार में मटका फिल्टर लगाकर स्वच्छ पेयजल भी उपलब्ध कराएगी।