इसके पीछे मान रही दिल्ली के बीजेपी मुख्यालय का हाथ

पटना: मुजफ्फरपुर के बालिका आश्रय गृह में बच्चियों के साथ हुए रेप के मामले में तेजस्वी यादव शुरू से ही हमलावर हैं. हालांकि नीतीश कुमार की पार्टी जदयू (जनता दल यूनाइटेड) इसके लिए तैयार थी. इस कांड जितना बड़ा था, उससे कहीं ज्यादा दुखद और डरावना. करीब तीन दर्जन लड़कियों को राज्य अनुदानित आश्रय गृह में उनकी सुरक्षा के लिए रखा गया था, जिसमें एक सात साल की बच्ची भी थी. इन लड़कियों के साथ आश्रय गृह में ही गृह के इंचार्ज द्वारा कथित तौर पर रेप किया गया. आरोप तो यह भी है कि नीतीश कुमार की सरकार में एक मंत्री के पति भी इस पूरे मामले में शामिल हैं.जदयू को इस मामले में तेजस्वी यादव से किसी नरमी की उम्मीद भी नहीं थी, लेकिन अब इस पूरे मामले में राज्यपाल सत्यपाल मलिक के दखल ने पार्टी को चौंका दिया है.

राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने इसी हफ्ते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दो पत्र लिखे. साथ ही केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा. जेडीयू के एक नेता के मुताबिक यह हमारे लिए 'शर्मिंदगी' की बात है. दूसरी तरफ, राज्यपाल के पत्र के बाद पार्टी में यह चर्चा शुरू हो गई है कि यह सब सिर्फ 'राज भवन' का किया धरा नहीं है. राज्यपाल सत्यपाल मलिक और नीतीश कुमार एक-दूसरे को दशकों से जानते हैं और जनता दल में करीब एक ही समय रहे हैं.

ऐसे में जब पिछले साल सत्यपाल मलिक ने बतौर बिहार गवर्नर नीतीश कुमार को गले लगाकर अपनी पारी की शुरुआत की तो किसी को आश्चर्य नहीं हुआ. हालांकि अब जब राज्यपाल ने पत्र लिखा तो यह चौंकाने वाला कदम जरूर था. एक अन्य जदयू नेता कहते हैं कि, 'राजभवन को कलम उठाने पर मजबूर करने की पटकथा कहीं और लिखी गई है. इसके पीछे बिहार बीजेपी नहीं है. नीतीश कुमार कैबिनेट में मंत्री सुशील मोदी जैसे नेताओं का सहयोगात्मक रवैया रहा है'. वह कहते हैं कि 'संभव है कि यह दिल्ली के बीजेपी मुख्यालय में हुआ हो'.