बिगड़ती क़ानून व्यवस्था पर लखनऊ में कांग्रेस का धरना प्रदर्शन
लखनऊ: प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था, महिलाओं के साथ हो रहा शोषण और बढ़ती महंगाई के विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आज गांधी प्रतिमा पार्क में एकजुट होकर विरोध जताया।
धरने को सम्बोधित करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर जी ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था खत्म होने के कगार में है, ऐसा लगता है कि जंगलराज कायम हो गया है। जेल से लेकर सड़क तक हत्याएं हो रही हैं। महिलाओं के साथ हो रहे बलात्कार की घटनाएं लगातार बढ़ रही है। रेप और गैंगरेप की घटनाएं सरकार के माथे पर कलंक है। सरकार और पुलिस का इकबाल खत्म हो चुका है। अपना हक मांगने वालों पर लाठी और गोली बरसायी जा रही है। प्रदेश का व्यापारी हों अथवा छोटे दुकानदार हों, मोदी सरकार की अन्यायी जीएसटी से बुरी तरीके से पीड़ित हैं, उनके रोजगार और व्यापार बन्द होने की कगार पर हैं। मीडिया का लगातार उत्पीड़न हो रहा है। मीडिया की आवाज दबायी जा रही है, जो लोकतंत्र के लिए घातक है। प्रदेश की पुलिस न्याय और कानून की जिम्मेदारी न संभालकर स्वयं द्वारा लिये गये शपथ का ही उल्लंघन कर रही है। आज उ0प्र0 की पुलिस योगी सरकार के बाउन्सर की तरह काम कर रही है और गरीब और पीड़ित जनता को सत्ता का रौब दिखाकर उत्पीड़न करने पर उतारू है। वर्षा न होने से प्रदेश के कई हिस्से पूर्वांचल से लेकर बुन्देलखण्ड तक सूखे की कगार पर हैं लेकिन योगी सरकार के पास सूखे से पीड़ित किसानों के लिए केाई ठोस योजना नहीं है। चाहे आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां हो अथवा अनुदेशक, आये दिन सड़कों पर उतरकर अपनी जायज मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं लेकिन अभी तक सरकार से उन्हें सिर्फ छलावा ही मिला है।
उन्होने कहा कि संसद में लाये गये अविश्वास प्रस्ताव से बहुत जरूरी मुद्दों पर न सिर्फ चर्चा हुई बल्कि देश की जनता के सामने मोदी सरकार के झूठ, फरेब और जुमलों की कलई खुली है। केन्द्र की मोदी सरकार के सभी वादे जुमलों में बदल चुके हैं। देश का नौजवान, किसान, महिलाएं, व्यापारी हर वर्ग परेशान है। प्रदेश की योगी सरकार आज तक जनहित के सभी मुद्दों पर विफल साबित हुई है। किसी भी चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार का प्रथम दायित्व आम जनता को सुरक्षा देना है लेकिन जिस प्रकार आज प्रदेश में भय का वातावरण व्याप्त है ऐसा लगता है कि प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज नहीं बची है न तो प्रदेश में नौजवानों को रोजगार मिल रहा है, न ही किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल रहा है, बिजली, पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है।
धरने में मुख्य रूप से नसीमुद्दीन सिद्दीकी, दीपक सिंह, बोध नाथ शुक्ला, मोहम्मद शहजाद आलम, अर्शी रज़ा, वेद प्रकाश त्रिपाठी, नरेंद्र गौतम आदि कार्यकर्ता शामिल रहे।
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