लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही साथ पूरी उत्तर प्रदेश सरकार दिन रात जनता की सेवा में जुटी हुई है। खुद मुख्यमंत्री जनहित से जुड़े मुद्दों और कानून व्यवस्था को लेकर प्रदेश की तस्वीर बदलने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में जो अफसर और कर्मचारी जनता के प्रति संवेदनशील नहीं पाए जाएगें उनके खिलाफ सरकार कड़ी कार्रवाही करेगी। कुछ दिनों पूर्व दो जिलाधिकारियों का निलम्बन और कल हुआ पुलिस अधीक्षकों को संस्पेशन इसी बात का प्रमाण है कि मुख्यमंत्री लापरवाह अफसरों को कतई बख्शने वाले नहीं हंै। मुख्यमंत्री जी ने कल जनपद सम्भल के पुलिस अधीक्षक राधे मोहन भारद्वाज तथा प्रतापगढ़ के पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह को कार्यो में शिथिलता के आरोप में निलम्बित किया। शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि नाकारा अफसरों के खिलाफ हुई इस कार्रवाही से ऐसे नौकरशाहों में हडकंप मच गया है जो अभी भी जनहित के मुद्दांे को लेकर गम्भीर और संवेदनशील नहीं है।

प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि सपा और बसपा की सरकारों ने नौकरशाही के साथ हमेशा दोयम दर्जे का व्यवहार किया। जाति और सम्प्रदाय के नाम पर अधिकारियों के साथ भेदभाव हुआ। इन दोनों सरकारों ने नौकरशाही का भरपूर राजनीतिकरण किया गया। इस बात की तस्दीक तो पूर्वमुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी ने अपने उस बयान से भी की थी कि उनकी सरकार में अफसरों से कप-प्लेट उठवाई जाती थी। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब स्वस्थ वातावरण में अफसरों को सम्मानपूर्वक काम करने की आजादी दी है। तब ऐसे में अफसरों का भी दायित्व बनता है कि वे सरकार की जनहित की योजनाओं को न सिर्फ जरूरतमंदो तक पहुंचाए बल्कि कानून व्यवस्था बेहतर करने और भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश बनाने में सरकार का सहयोग करें।

शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि सरकार बनने के तुुरन्त बाद से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने उत्तर प्रदेश का कायाकल्प करने का संकल्प उठाया था। इसी का परिणाम है कि उत्तर प्रदेश जहां आज विकास की राह पर काफी आगे बढ़ चुका है तो वहीं कानून व्यवस्था की स्थिति भी पहले से काफी बेहतर हो गई है। मुख्यमंत्री जी ने नौकरशाही का राजीतिकरण खत्म करने का भी बीड़ा उठाया और हर अधिकारी को ईमानदारी से काम करने की छूट दी गई। इस दौरान भ्रष्ट और नाकारा अफसरों के खिलाफ बडे़ पैमाने पर पहली बार कार्रवाईयां भी की र्गइं। पर अफसोस है कि सरकार की तरफ से ईमानदारी से काम करने की पूरी छूट दिये जाने के बावजूद कुछ अफसरों ने अपनी कार्यशैली नहीं बदली और इसी का नतीजा है कि मुख्यमंत्री जी को दो जिलाधिकारियों और दो पुलिस अधीक्षकों को निलम्बित कर कड़ा संदेश देना पड़ा है। ये कार्रवाई इस बात का संदेश है कि लापरवाह और संवेदनहीन अफसर सरकार के निशाने पर है।