नई दिल्ली: गंगा की सफाई को लेकर दाखिल की गई एक आरटीआई के जवाब में सरकार ने कहा कि उसे नहीं पता गंगा की सफाई की क्या हालत है. हाल ही में एक आरटीआई अर्जी के जवाब से खुलासा हुआ कि सरकार गंगा की सफाई पर अब तक 3,800 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है. तब सवाल उठता है कि जमीनी स्तर पर सफाई कहां-कहां हुई? इतनी बड़ी रकम कहां-कहां और किन मदों में खर्च हुई?

गंगा की सफाई को लेकर अभियान चला रहीं कार्यकर्ता जयंती ने सरकार से कहा कि गंगा की सफाई का बिगुल बजाए एक अरसा हो गया है, लेकिन सरकार ने सफाई के नाम पर कुछ घाट चमका दिए हैं, लेकिन सरकार के पास क्या गंगा के घटते जलस्तर पर कोई जवाब है? गंगा में जमी गाद को हटाने के लिए सरकार कर क्या रही है? इसे हटाए बिना जलमार्ग का विकास असंभव है, क्योंकि गंगा जब तक अविरल नहीं होगी, निर्मल भी नहीं होगी.

प्रधानमंत्री बनने से पहले गंगा की सफाई को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने कई दावे किए थे. गुजरात से उत्तर प्रदेश के वाराणसी आए नरेंद्र मोदी ने सांसद प्रत्याशी के रूप में गंगा को नमन करते हुए कहा था, "न मै यहां खुद आया हूं, न कोई मुझे लाया है, मुझे तो गंगा मां ने बुलाया है."

मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद गंगा की सफाई के लिए 'नमामि गंगे' नाम से एक परियोजना लाई गई. इसकी जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री उमा भारती को सौंपी गई. लेकिन गंगा अब तक निर्मल नहीं हो सकी.

अब, जब मौजूदा सरकार के पांच साल पूरे होने में बमुश्किल एक साल बचा है तो पीछे मुड़कर देखने की जरूरत है कि सरकार ने गंगा की सफाई को लेकर चार साल में आखिर किया क्या है? यह जानने के लिए जब एक आरटीआई अर्जी दायर की गई, तो जवाब में सरकार साफतौर पर कह रही है कि उसे पता ही नहीं, गंगा अब तक कितनी साफ हुई है.

आरटीआई याचिकाकर्ता एवं पर्यावरणविद् विक्रम तोगड़े कहते हैं, "आरटीआई के तहत यह ब्योरा मांगा गया था कि अब तक गंगा की कितनी सफाई हुई है, लेकिन सरकार इसका कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं करा पाई."

वह कहते हैं, "सरकार क्या इतनी बात नहीं जानती कि गंगा में गंदे नालों के पानी को जाने से रोके बिना गंगा की सफाई नहीं हो सकती. नमामि गंगा के तहत सरकार ने गौमुख से गंगा सागर तक का जो हिस्सा कवर किया है, वहां के हालात जाकर देखिए, काई, गाद और कूड़े का ढेर देखने को मिलेगा. इसी तरह आप गढ़ गंगा यानी गढ़मुक्तेश्वर का हाल देख लीजिए. सफाई हुई कहां है और हो कहां रही है?"