नई दिल्ली: जम्‍मू कश्‍मीर में बीजेपी-पीडीपी गठबंधन टूटने के बाद राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्‍यपाल शासन को मंजूरी दे दी है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रपति ने जम्मू-कश्मीर में तत्काल प्रभाव से राज्यपाल शासन लागू करने की इजाजत दे दी है.

मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद राज्यपाल एनएन वोहरा ने राष्ट्रपति से राज्‍यपाल शासन लगाने की सिफारिश की थी, जिस पर आज मुहर लग गई. पिछले 4 दशक में यहां 8वीं बार राज्‍यपाल शासन लगा है. जबकि राज्यपाल एनएन वोहरा के कार्यकाल के दौरान यानी 2008 से लेकर अब तक यहां चौथी बार राज्‍यपाल शासन को मंजूरी मिली है.

जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा 92 के तहत राज्य में छह माह के लिए राज्यपाल शासन लागू किया जा सकता है. भारत का संविधान जम्मू- कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता है और ये देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसके पास अलग संविधान और नियम हैं. देश के अन्य राज्यों में संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है.

वर्तमान में जम्‍मू कश्‍मीर के राज्‍यपाल एनएन वोहरा हैं. वोहरा को जून 2008 में राज्यपाल नियुक्त किया गया था और उन्हें 2013 में फिर से राज्यपाल का कार्यभार सौंपा गया था. वह उन चुनिंदा राज्यपालों में से एक है जिन्हें यूपीए सरकार ने नियुक्त किया था और बीजेपी के नेतृत्व वाली राजग सरकार में भी अपने पद पर बने हुए हैं.

बीजेपी ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती सरकार के साथ तीन साल पुरानी दोस्ती तोड़ते हुए समर्थन वापस लेने का ऐलान किया था. दिल्ली में बीजेपी की कोर कमिटी की बैठक में पीडीपी सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया गया. बीजेपी चीफ अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के सभी बीजेपी नेताओं की राय जानी और फिर पार्टी ने सरकार से अलग होने का फैसला किया. जम्मू कश्मीर के बीजेपी इंचार्ज राम माधव ने कहा कि अब आगे पीडीपी के साथ गठबंधन को जारी रखना संभव नहीं है. दरअसल महबूबा मुफ्ती चाहती थीं कि घाटी में जारी सीज़फायर को रमज़ान के बाद भी बढ़ाया जाए. लेकिन दिल्ली में बीजेपी सरकार आतंकियों के बढ़ते हमलों की वजह से इसके लिए तैयार नहीं थी. इसलिए ईद खत्म होते ही केंद्र सरकार ने सीज़फायर को वापस लेने की घोषणा की.