नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र ने कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघन पर अपनी तरह की पहली रिपोर्ट गुरुवार को जारी की और इन उल्लंघनों की अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की मांग की। रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए भारत ने इसे ‘भ्रामक, पक्षपातपूर्ण और प्रेरित’’ बताकर खारिज कर दिया और संयुक्त राष्ट्र में अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया। इस रिपोर्ट के विरोध में देश के दो प्रमुख दल कांग्रेस और बीजेपी भी एक साथ आ गये हैं। दोनों पार्टियों ने इस रिपोर्ट को झूठ का पुलिंदा कहा है। बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि इस रिपोर्ट को कूड़ेदान में फेंक देना चाहिए। कांग्रेस ने कहा है कि ये रिपोर्ट झूठे के आधार पर तैयार किया गया है और पार्टी इस मुद्दे पर सरकार के रूख का समर्थन करती है।

रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा, “मैं इस रिपोर्ट को कूड़ेदान में डालना चाहूंगा, वे लोग (UNOHCHR) पूर्वाग्रह से ग्रसित और वामपंथी विचारधारा वाले संगठन हैं, हमें उन्हें कहना चाहिए भाड़ में जाओ, हम लोग उन रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया नहीं देते हैं जो वैसे लोगों द्वारा तैयार की जाती है जिन्हें विषय का ही पता नहीं है।” कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कहा कि इस रिपोर्ट में आतंकी संगठनों को हथियारबंद समूह कहा गया है और ये आतंकियों को प्रश्रय देने जैसी बात है। उन्होंने कहा, “ये जो रिपोर्ट है उन्होंने बिना जम्मू कश्मीर गये बनाया है, इस तरह की रिपोर्ट को मैं बिल्कुल उचित नहीं मानता हूं, इस मामले में भारत सरकार ने जो स्टैंड लिया है उसका हम पूरा समर्थन करते हैं।

बता दें कि विदेश मंत्रालय ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि रिपोर्ट पूरी तरह से पूर्वाग्रह से प्रेरित है और गलत तस्वीर पेश करने का प्रयास कर रही है। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि यह देश की सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मानवाधिकार उल्लंघन की अतीत की और मौजूदा घटनाओं के तुरंत समाधान की जरूरत है। इसमें कहा गया है, ‘‘कश्मीर में राजनीतिक स्थिति के किसी भी समाधान में हिंसा का चक्र रोकने के संबंध में प्रतिबद्धता और पूर्व में तथा मौजूदा मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर जवाबदेही होनी चाहिए।’’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘नियंत्रण रेखा के दोनों तरफ लोगों पर नुकसानदेह असर पड़ा है और उन्हें मानवाधिकार से वंचित किया गया या सीमित किया गया।’’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘इन समूहों को किसी भी तरह के समर्थन से पाकिस्तान सरकार के इंकार के दावों के बावजूद विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तानी सेना नियंत्रण रेखा के पार कश्मीर में उनकी गतिविधियों में सहयोग करती है।’’