लखनऊ: नीति आयोग की सलाह पर अमल करते हुए सूबे की योगी सरकार जल्द ही विभागों का पुनर्गठन करेगी और उसके बाद मंत्रिमंडल में बदलाव होगा. मिशन 2019 की तैयारियों और बदले राजनीतिक हालात में सीएम योगी आदित्यनाथ जल्द ही इसपर फैसला ले सकते हैं.

दरअसल, करीब 6 महीने से ज्यादा का वक्त बीतने के बाद भी नीति आयोग द्वारा विभागों के पुनर्गठन की सलाह पर योगी सरकार कोई फैसला नहीं ले सकी है. हालांकि, आईएएस संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी. उस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सीएम को सौंप दी है और उसपर विचार विमर्श चल रहा है. 17 जून को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में नीति आयोग की गवर्निंग बॉडी की बैठक दिल्ली में है. जिसमें सीएम योगी को भाग भी लेना है. ये माना जा रहा है कि विभागों के पुनर्गठन को लेकर सीएम जल्द ही फैसला लेंगे, क्योंकि अब उनकी ही मुहर लगनी बाकी है.

विभागों के पुनर्गठन के साथ योगी कैबिनेट और संगठन में भी बड़े फेरबदल की तैयारी है. सूबे की राजनीतिक हालात को देखते हुए कई ऐसे नेता हैं, जिनकी संगठन में वापसी के कयास लगाए जा रहे हैं. बीजेपी सभी समीकरणों को ध्यान में ऱखते हुए मंत्रिमंडल में फेरबदल करेगी. मंत्रिमंडल में कुछ प्रमुख लोगों का कद बढ़ेगा तो कुछ को संगठन का अतिरिक्त प्रभार दिया जाएगा.

विभागों के पुनर्गठन के तहत लगभग 95 विभागों की संख्या को आधा करने की योजना है. इसके तहत परिवार कल्याण, आयुष, मेडिकल एजुकेशन, मातृ एवं शिशु कल्याण को स्वास्थ विभाग में मिलाया जा सकता है. बेसिक, माध्यमिक, उच्च, तकनीकि शिक्षा और प्रोफेशनल एजुकेशन को मिलाकर एक शिक्षा विभाग बनाया जा सकता है. गन्ना विभाग, सूखा राहत विभाग,कृषि विभाग,कृषि अनुसंधान,खाद्य प्रसंस्करण विभाग को कृषि विभाग में शामिल किया जा सकता है. स्टॉम्प, मनोरंजन कर, बांट माप विभाग ऐसे ही मिलते जुलते विभागों को राजस्व विभाग में समायोजन करने की योजना है. ग्रामीण विकास से जुड़े विभागों को एक साथ करने की योजना है. इनपर मुहर लगने के बाद संगठन और सरकार एक साथ मिलेंगे और मंत्रिमंडल फेरबदल पर मुहर लगेगी.

बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि सुशासन लाने और लोगों को सुविधा देने के लिए सरकार काम कर रही है. मंत्रीमंडल में फेरबदल का विशेषाधिकार मुख्यमंत्री के पास है. वे ही निर्णय लेंगे कि किसी लेना है किसे हटाना है.