पटना: बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा है कि बिहार में एऩडीए के नेता नीतीश कुमार हैं। उन्होंने कहा है कि देश के पीएम नरेंद्र मोदी हैं, लेकिन बिहार के नेता तो नीतीश कुमार हैं। सुशील मोदी का ये बयान तब आया है। जब रविवार (3 जून) को जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा था कि बिहार एनडीए में जेडीयू को बड़े भाई का रोल मिलना चाहिए। दरअसल तमाम विवाद 2019 लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर है। सूत्रों के मुताबिक बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से जेडीयू 25 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। इसी तथ्य के आलोक में जेडीयू नेता नीतीश और अपनी पार्टी को गठबंधन का सबसे बड़ा चेहरा बता रहे हैं। डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने नीतीश कुमार को बिहार का नेता बताकर इस विवाद को फिलहाल शांत करने की कोशिश की है। सुशील मोदी ने समाचार एजेंसी एएनआई को कहा, ” देश के पीएम नरेंद्र मोदी हैं, लेकिन बिहार के नेता तो नीतीश कुमार हैं, इसलिए बिहार में जो वोट मिलेगा वो नरेंद्र मोदी के नाम पर और नीतीश कुमार के काम के नाम पर। इसमं विरोधाभाष कहां है।”

जब बिहार के उपमुख्यमंत्री से सीटों के बंटवारे पर पूछा गया तो उन्होंने कहा, “कोई विवाद नहीं है, जब दिल मिल गये, तो सीट कौन सी बड़ी चीज है, हर चुनाव के अंदर कौन कितना लड़ेगा, नहीं लड़ेगा, ये सारा जिस दिन बैठेंगे, सारी चीजों का ऐलान हो जाएगा।” बता दें कि इस वक्त बिहार एनडीए में चार पार्टनर हैं। बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी और आरएलएसपी। इन चारों दलों के बीच 40 सीटों का बंटवारा होना है। 2014 में जब लोकसभा चुनाव हुआ था तो जेडीयू इस खेमे से बाहर थी। लेकिन पिछले साल जेडीयू एक बार फिर से एनडीए का हिस्सा बन गई। इसके बाद सीटों के बंटवारे का पेंच फंस रहा है।

इस वक्त बीजेपी एलजेपी और आरएलएसपी बिहार की 40 में से 31 सीटों पर काबिज है। इसमें बीजेपी के 22, एलजेपी के 6 और आरएलएसपी की 3 सीटें हैं। जेडीयू के खाते में मात्र दो सीटें हैं। आंकड़ों का सीधा गणित देखे तो बीजेपी के पास जेडीयू के लिए मात्र (40-31) 9 सीटें बचती है। हालांकि जेडीयू का इतने सीटों पर मानना संभव नहीं दिखता है। 2009 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू बिहार में बड़े भाई की भूमिका में थी। तब पार्टी 25 और बीजेपी 15 सीटों पर चुनाव लड़ती थी। अब दबी जुबान से ही सही जेडीयू का इसी फॉर्मूले पर जोर है।