गया: भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली बोधगया में वर्ष 2013 में हुए महाबोधी मंदिर में सीरियल बम ब्लास्ट केस में एनआईए कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने सभी पांचों दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

इसके अलावा नाबालिग उमर सिद्दीकी को 3 साल की सजा दी गई है. पिछले साल नवंबर में उसकी सुनवाई के दौरान दोषी करार दिया गया था और तीन साल के लिए बाल संप्रेक्षण गृह भेज दिया गया था.

इससे पहले अदालत ने बोधगया के महाबोधि मंदिर के पास पांच साल पहले हुए सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में बीती 25 मई को सभी पांचों आरोपियों को दोषी करार दिया था. पटना की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) अदालत के विशेष न्यायाधीश मनोज कुमार ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सभी पांचों आरोपियों को दोषी करार दिया.

गौरतलब है कि 31 मई, 2018 को दोनों पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद एनआईए अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अदालत ने उमर सिद्दिकी, अजहरुद्दीन कुरैशी, हैदर अली, मुजिबुल्लाह अंसारी और इम्तियाज अंसारी को बोधगया में श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट मामले में दोषी करार दिया था. उमर और अजहर छत्तीसगढ़ के रायपुर के निवासी हैं जबकि अन्य तीन झारखंड के रांची के रहने वाले हैं. ये सभी आरोपी फिलहाल पटना के जेल में बंद हैं.

इस धमाके में एक तिब्बती बौद्ध भिक्षु और म्यांमार के तीर्थ यात्री घायल हो गए थे. बोधगया ब्लास्ट में एनआईए की तरफ से 90 गवाहों को पेश किया गया था.हाल ही में कोलकाता पुलिस ने बोधगया बम बरामदगी मामले से जुड़े होने के आरोप में आतंकवादी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के एक संदिग्ध सदस्य को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार आरोपी की उम्र 20-25 साल थी, जिसे पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के धुलियां से पकड़ा था. उसकी शिनाख्त नूर आलम के रूप में हुई थी.