नई दिल्ली: भीषण गर्मी की चपेट में भारत के कई राज्यों को जल्द राहत मिलने वाली है. मौसम विभाग के मुताबिक, अगले तीन दिन में मॉनसून अंडमान में दस्तक दे सकता है. यही वजह है कि दक्षिण-पश्चिम इलाकों में समय से पहले बारिश हो सकती है. वहीं, उत्तर भारत में भी प्री-मॉनसून की हल्की बूंदाबांदी देखने को मिल सकती हैं. अंडमान में मॉनसून जिस तरह आगे बढ़ेगा, उससे ही अंदाजा लगेगा कि उत्तर भारत में मॉनसून कब पहुंचेगा. आपको बता दें, मौसम विभाग का मॉनसून को लेकर अगला अनुमान जून में आना है.

मौसम विभाग के मुताबिक, उत्तर भारत को अभी गर्मी झेलनी होगी. वहीं, केरल में झमाझम बारिश होने की संभावना है. विभाग ने आशंका जताई है कि केरल में 28 मई से भारी बारिश हो सकती है. अगले 48 घंटे में मॉनसून दक्षिण अरब सागर से केरल पहुंच सकता है. दक्षिण अरब सागर और दक्षिण-पश्चिमी इलाकों में मानसून के लिए स्थितियां अनुकूल हो रही हैं. दो दिन यहां हल्की बारिश होने की संभावना है. लेकिन, 28 मई के बाद केरल में मॉनसून पूरी तरह सक्रिय हो जाएगा. आमतौर पर एक जून को मानसून केरल में दस्तक देता है.

मौसम विभाग के मुताबिक, मॉनसून समय से चार दिन तेज चल रहा है. दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 28 मई से सक्रिय होगा. लेकिन, अंडमान और निकोबार द्वीप इससे पहले पहुंचेगा. 24 मई को यह श्रीलंका में दस्तक दे सकता है और फिर आगे पूर्व-मध्य बंगाल की खाड़ी की तरफ बढ़ेगा. केरल पहुंचने वाला मानसून ही सक्रिय होकर देश के उत्तरी क्षेत्र में आता है, जिससे राजधानी दिल्ली समेत उत्तर और दक्षिण के राज्यों को गर्मी से राहत मिलती है.

इस साल मौसम विभाग ने 100 फीसदी सामान्य मॉनसून की भविष्यवाणी की है. अप्रैल में मौसम विभाग (आईएमडी) ने अपने पूर्वानुमान में कहा था कि मॉनसून का लंबी अवधि (एलपीए) का औसत 97 फीसदी रहेगा जो कि इस मौसम के लिए सामान्य है. कम मॉनसून की बहुत कम संभावनाएं हैं. पूरे साल में 96 से 104 प्रतिशत बारिश होने पर मॉनसून को सामान्य माना जाता है. जबकि 90 से 96 प्रतिशत वर्षा को सामान्य से कम कहा जाता है.

मौसम विभाग के मुताबिक, इस समय पूरे भारत में ठीक वैसा ही मौसम है जैसा कि मानसून से पहले मई के महीने में होता है. स्थितियां मॉनसून के लिए पूरी तरह अनुकूल हैं. केरल पहुंचने के बाद ही मॉनसून के आगे की चाल पर निर्भर करेगा. देश भर में कई जगहों पर धूल भरी हवाओं के साथ ओलावृष्टि और बारिश रिकॉर्ड की गई है. असम, मेघालय, त्रिपुरा, बिहार, पश्चिमी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, सौराष्ट्र और कच्छ कोस्टल और अंदरुनी कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु में बिजली की कड़क के साथ तेज हवाओं से बारिश रिकॉर्ड की गई.