सुलतानपुर। रमजान का मुबारक महीना शुरू हो गया है, मई माह में शिद्दत की
गर्मी के साथ रमजान का आगाज हुआ है। जैसे-जैसे रोजे आगे बढ़ेंगे और जून
माह में प्रवेश करेंगे वैसे-वैसे शदीद गर्मी अपने शबाब पर होगी। सबसे खास
बात ये है कि इस बार रोजो की अवधि लगभग 16 घंटे है यानी 16घंटे बिना पानी
के अपनी नफ्स को काबू में करके खुदा की इबादत में रहना है और इसके
साथ-साथ एक महीना यानी 30 दिन तक अपनी सेहत का भी ख्याल रखना है ताकि
सारे रोजे मुकम्मल करने में कोई जिस्मानी परेशानी का या स्वास्थ संबंधी
किसी समस्या का शिकार न होना पड़े ताकि रोजे तर्क न होने पाएं…
अमूमन देखा गया है कि रमजान में लोग खान-पान में गरिष्ठ भोजन का
इस्तेमाल ज्यादा करते हैं मगर इस बार शिद्दत की गर्मी में पड़ने वाले
रमजान में यदि आप खान-पान में जरा सी चूक कर गए और सावधानी से काम न लिया
तो रोजेदारों को स्वास्थ संबंधी बड़ी मुश्किलात का सामना करना पड़ सकता है।
इस विषय पर मिशन हॉस्पिटल के डायरेक्टर पेन मैनेजमेंट एंड स्पोर्ट्स
इंज्यूरी विशेषज्ञ और डाइट एक्सपर्ट डॉ एस.ई.हुदा ने शिद्दत की गर्मी में
पड़ने वाले इस रमजान पर एक रिसर्च रिपोर्ट तैयार की है। डॉ0 हुदा की
रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक यदि हम 16 घंटे भूखे-प्यासे रहकर अल्लाहः की
इबादत में मशगूल रहते हैं और साथ-साथ 20 रकत तराबीह की भी ईशा की नमाज के
बाद अदा करते हैं तो हमारे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट-इमबैलेंस हो जाता है
और जिस्म के अंदुरुनी ऑर्गन की क्रयाशीलता में सामान्य दिनों की अपेक्षा
काफी कमी आजाती है। इस समस्या से निजात पाने के लिये डॉ0 हुदा की रिपोर्ट
के मुताबिक सबसे सरल और आसान तरीका गाये के दूध का सेवन है…आईये जानते
हैं गाये के दूध के सेवन से किस प्रकार हमारे शरीर मे 16 घंटे के रोजे के
दौरान आयी निट्रेन्ट्स, कैल्शियम और इलेक्ट्रो लाइट की कमी को कैसे दूर
किया जा सकता है।
सुबह सेहरी में 1 गिलास गाये के दूध के सेवन से पूरे दिन आपका पेट
स्वच्छ रहेगा और गैस सम्बन्धी समस्या का सामना नही करना पड़ेगा। गाये के
दूध में वसा(फैट) की मात्रा बहुत कम होने की वजह से हार्ट संबंधी समस्या
से ग्रसित रोजेदारों को भी रोजे रखने में कोई दिक्कत नही आएगी। गाये के
दूध में कैल्शिम प्रचुर मात्रा में होने से अफ्तार के बाद और तराबीह से
पहले अगर 1 गिलास हल्का ठंडा दूध ले लिया जाए तो घुटनों, कमर और टखनों के
दर्द से दूर रहेंगे। गाये के दूध में ओमेगा फैटी एसिड होने की वजह से
कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहेगा और पूरे दिन थकान महसूस नही होगी। अक्सर
डायबिटीज के मरीज रोजे रखने से परहेज करते हैं मगर गाए के दूध के सेवन से
खाली पेट होने के बावजूद भी शुगर लेवल नियन्त्रित रहेगा। अपेक्षाकृत
डायबिटीज के मरीजों को गाय का दूध पहले से पीने की आदत हो तो बेहतर है।
गाए के दूध में प्रचुर मात्रा मे प्रोटीन होने के कारण मांसाहारी भोजन से
बचा जा सकता है जिससे शरीर मे प्रोटीन की कमी भी पूरी होगी और वजन भी नही
बढ़ेगा। गाए के दूध में विटामिन ई, सेलेनियम और जिंक भरपूर मात्रा में
पाया जाता है इनके सेवन से 16 घंटे के रोजे की कमजोरी का एहसास नही होगा
और रोजेदार तरोताजा महसूस करेगा। ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित रहेगा। अफ्तार
के वक्त गाय के दूध को मिल्क शेक की तरह इस्तेमाल करने से शरीर को
इंस्टेंट एनर्जी प्राप्त होती है। यानि रमजान भर गाय के दूध का उचित
मात्रा में सेवन करिये और तीस रोजो का लुत्फ उठाइये । यकीनन अमृततुल्य है
गाय का दूध।