सुल्तानपुर । पूर्व की बसपा सरकार में स्वतन्त्र प्रभार के पर्यटन
राज्यमंत्री रहे विनोद सिंह ने फिर से घर वापसी कर ली है । हालांकि
उन्होंने बसपा छोड़ते समय मायावती की तारीफों के पुल बांधे थे और पार्टी
छोड़ने के पीछे अपने शैक्षिक संस्थानों में व्यस्तता का हवाला दिया था ।
लेकिन अब जब 2019 के लोकसभा चुनाव की सुगबुगाहट होने लगी है तो उन्होंने
फिर से वापसी करते हुए बसपा का नीला झण्डा थाम हाथी पर बैठ गये है।
कामकाज की व्यस्तता बताते हुए भले ही पूर्व मंत्री ने बसपा से किनारा
किया था लेकिन इसके निहितार्थ कुछ और ही लगाये जा रहे थे।

बसपा की मायावती सरकार में पर्यटन राज्यमंत्री रहे विनोद सिंह की घर
वापसी हो गई है । यानी उनकी बसपा में फिर से इंट्री हो गई है। उनकी बसपा
में इंट्री बसपा जिला अध्यक्ष ओमप्रकाश गौतम के अनुरोध पर हुआ है । बताया
जा रहा है कि जिला अध्यक्ष ओमप्रकाश गौतम ने बसपा सुप्रीमो मायावती को
पत्र लिखकर पूर्व मंत्री विनोद सिंह को पार्टी में फिर से शामिल कराने का
अनुरोध किया था । जिस पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी में इंट्री के
लिए हरी झंडी भी दे दी । जिस पर जोनल कवार्डीनेटर एवं एमएलसी दिनेश
चन्द्रा ने पूर्व मंत्री विनोद सिंह को बसपा में घर वापसी की घोषणा कर
दी। हालांकि पूर्व मंत्री विनोद सिंह की तरफ से अभी तक कोई बयान नही आया
है।

जहां तक पूर्व मंत्री विनोद सिंह के राजनीतिक सफर का सवाल है तो
वर्ष 2007 के शुरुआती समय में कांग्रेस छोड़कर बसपा में शामिल हुए थे ।
हालांकि पूर्व मंत्री विनोद सिंह का परिवार पूरी तरह कांग्रेसी था । उनके
स्वर्गीय पिता केदारनाथ सिंह इंदिरा गांधी सरकार में उपमंत्री रहे थे।
पूर्व मंत्री श्री सिंह ने वर्ष 2002 में कांग्रेस के टिकट पर लम्भुआ
विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, जिसमे उनकी बुरी तरह हार हुई थी। यहां
तक कि उनकी जमानत नहीं बच सकी थी । कांग्रेस का निकट भविष्य में अच्छा
समय आता न भांपकर उन्होंने बसपा ज्वाइन कर लम्भुआ विधानसभा क्षेत्र से
चुनाव लड़कर जीत भी हासिल की थी और मायावती सरकार में पर्यटन राज्यमंत्री
स्वतन्त्र प्रभार बने थे। उनको बसपा सुप्रीमो मायावती का सबसे खास
सिपहसालार गिना जाता था। लेकिन समय ने पलटी मारी, वर्ष 2012 तथा वर्ष
2017 में हुए विधानसभा चुनाव में जिले में बसपा के दयनीय प्रदर्शन से
बसपा सुप्रीमो मायावती पूर्व मंत्री विनोद सिंह से खासी नाराज थी ।
सूत्रों पर भरोसा करें तो पूर्व मंत्री को नसीमुद्दीन सिद्दीकी के कैम्प
का माना जाता था । शायद इसलिए पूर्व मंत्री को पार्टी से बाहर का रास्ता
दिखाया गया था। जानकारों का कहना है कि पार्टी से निकाले जाने के बाद
पूर्व मंत्री विनोद सिंह ने भाजपा सहित अन्य दलों में भी जाने की कोशिश
की थी, लेकिन किसी पार्टी में बात न बन पाने के कारण और फूलपुर तथा
गोरखपुर के लोकसभा उपचुपचाप का परिणाम देखते हुए समय का इंतजार करते रहे।
पूर्व मंत्री विनोद सिंह तीन भाई हैं। विनोद सिंह के अलावा पूर्व एमएलसी
अशोक सिंह और अरविंद सिंह हैं। पूर्व मंत्री विनोद सिंह कमला नेहरू
विश्वविद्यालय, कमला नेहरू टेक्निकल इंस्टीट्यूट, केएनआई( सी ), कमला
नेहरू कृषि विज्ञान केन्द्र के अलावा दर्जनों शैक्षिक संस्थान तथा
दर्जनों पेट्रोलपम्प हैं। दूसरे भाई अशोक कुमार सिंह पूर्व एमएलसी का
एक्सपोर्ट इम्पोर्ट का व्यवसाय है । उन्हें पूर्ववर्ती मायावती की सरकार
के समय विधान परिषद के लिए हुए चुनाव में एमएलसी बनाया था । तीसरे भाई
अरविन्द सिंह का भी बड़ा विजनेस है।

सपा बसपा गठबंधन की ताकत देख पूर्व मंत्री ने लिया यू-टर्न-

तीन माह पूर्व पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण बसपा छोड़ने वाले
पूर्व मंत्री विनोद सिंह फिर बसपाई हो गए। सूत्र बताते हैं की उस समय
बसपा छोड़ने वालों की होड़ लगी थी । इसी कारवां में मंत्री जी भी शामिल हो
गए और इस्तीफे में बता दिया कि वह निजी जीवन मे व्यस्त हैं। इस दरम्यान
सपा-बसपा के बीच नजदीकियां बढ़ते देख मंत्री के खेमे में हलचल पैदा हो गयी
और उन्होंने अच्छा अवसर देखते ही यू टर्न ले लिया। राजनीतिक जानकारों की
माने तो वह शीघ्र ही भाजपाई होने वाले थे। लेकिन बदले समीकरण ने उन्हें
नीला झंडा थामने को मजबूर कर दिया। गौरतलब है कि विनोद सिंह बसपा से पहले
कांग्रेसी रहे जो दल बदल कर हांथी पर सवार हो गए थे। लेकिन ताजा घटनाक्रम
के सम्बन्ध में तो यही कहा जा सकता है कि, ‘‘आखिर लौट कर बुद्धू घर को
आए।’’