पचास प्रतिशत मामले यूपी, एमपी, महाराष्ट्र, दिल्ली और वेस्ट बंगाल में

आठ वर्षीय कठुआ के बलात्कार और हत्या को लेकर पूरा देश गुस्से में हैं, इसके अलावा देश के अन्य हिस्सों में समय-समय पर इस तरह की घटनाएं सामने आती रहती हैं। क्राई- चाइल्ड राईट्स एण्ड यू की रिपोर्ट के अनुसार बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
एक विश्लेषण में पाया गया है कि पिछले 10 सालों में नाबालिगों के साथ होने वाले अपराधों की संख्या में 500 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। (2016 में 1,06,958 और 2006 में 18, 967 मामले)। अध्ययनों में यह भी पता चला है कि 2006 से 2011 की तुलना में 2012 से 2016 के बीच यह दर ज़्यादा तेज़ी से बढ़ी है। नेशनल क्राइम रिकाॅर्ड ब्यूरो के आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत में 2015 से 2016 के बीच बच्चों के साथ होने वाले अपराधों की संख्या 14 फीसदी बढ़ी है।
POCSO (Protection of Children from Sexual Offences Act) अधिनियम के तहत 2016 में किए गए विश्लेषण के अनुसार भारत में बच्चों के साथ होने वाले सभी अपराधों में एक तिहाई मामले यौन अपराध के होते हैं। यह बेहद चिंताजनक है कि भारत में हर 15 मिनट में एक बच्चे के साथ यौन अपराध किया जाता है।

अपराध की प्रवृति और श्रेणी की बात करें तो दर्ज किए गए मामलों में बच्चों के साथ होने वाले बलात्कार के मामले दूसरी सबसे बड़ी श्रेणी में आते हैं, ये सभी अपराधों का कुल 18 फीसदी हिस्सा बनाते हैं। 2016 में आधे से ज़्यादा मामले अपहरण (कुल 54723 अपराधों का 51.1 फीसदी) के दर्ज किए गए। च्व्ब्ैPOCSO (Protection of Children from Sexual Offences Act) अधिनियम के तहत कुल अपराधों के 33 फीसदी मामले बच्चों के खिलाफ़ ही होते हैं। पिछले पांच सालों के दौरान बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध की संख्या में 300 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

बच्चों के साथ अपराध के बढ़ते मामलों के बारे में बात करते हुए कोमल गनोत्रा, डायरेक्टर पाॅलिसी एण्ड एडवोकेसी, क्राई ने कहा, ‘‘हालांकि इस विषय पर बहस जारी है, समय आ गया है कि बच्चों के साथ अपराध के इन बढ़ते मामलों पर सक्रिय कदम उठाए जाएं। इस दृष्टि से हमारे पास उचित प्रणाली नहीं है, इन मुद्दों पर जागरुकता की कमी है, हमारी नीतियां और प्रोग्राम सक्षम एवं सख्त नहीं हैं, इसके अलावा बच्चों के संरक्षण के लिए बजट में भी उचित आवंटन नहीं किया जाता। राज्यों को इस दिशा में सशक्त एवं प्रतिक्रियाशील प्रणाली अपनानी होगी।’’ उन्होंने कहा।

राज्यों की बात करें तो बच्चों के साथ होने वाले अपराध के 50 फीसदी मामले 5 राज्यों में दर्ज किए गए हैं- उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, दिल्ली केन्द्र शासित प्रदेश और पश्चिमी बंगाल। उत्तरप्रदेश में सबसे ज़्यादा 15 फीसदी मामले दर्ज किए गए, इसके बाद महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में क्रमशः 14 फीसदी और 13 फीसदी मामले दर्ज किए गए। यह चिंता की बात है कि 36 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदशों में से 11 राज्यों में दर्ज किए गए 50 फीसदी से ज़्यादा मामले यौन अपराध के हैं। 36 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में से 25 राज्यों में बच्चों के खिलाफ़ दर्ज किए गए एक तिहाई मामले यौन उत्पीड़न के हैं।