नई दिल्ली: मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस में फैसला सुनाने वाले स्पेशल एनआईए जज ने इस्तीफा दे दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एनआईए जज आर रेड्डी ने फैसला सुनाने के कुछ देर बाद ही ये फैसला लिया है।

जज रेड्डी ने अपने इस्तीफे के पीछे निजी कारणों का हवाला दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा आंध्र प्रधेश के मुख्य न्यायाधीश को सौंपा है। खबरों के मुताबिक इस्तीफा देने के बाद वे लंबी छुट्टी पर जाएंगे। उनके इस्तीफे की खबर फैलते ही एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जज का यह कदम संदेह पैदा करने वाला है। जज के इस्तीफे से आश्चर्यचकित हैं।

बताते चलें कि मक्का मस्जिद धमाके पर 11 साल बाद आए फैसले के बाद राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। भाजपा ने जहां कांग्रेस से मांग की कि वह देश से माफी मांगे। वहीं, कांग्रेस ने जांच एजेंसियों की कार्यशैली पर सवाल उठाया। इस कड़ी में जज ने इस्तीफा देकर इस फैसले को और भी तूल दे दिया है।

मक्का मस्जिद मामले में आए अदालत के फैसले पर कांग्रेस ने बेहद सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। 'भगवा आंतकवाद' शब्द का इस्तेमाल करने से इनकार करते हुए पार्टी ने कहा कि आतंकवाद किसी धर्म या समुदाय से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। साथ ही जांच एजेंसियों की कार्यशौली पर सवाल उठाया है।

कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्षी दलों को डराने धमकाने में कर रही है। सच को झूठ और झूठ को सच बनाया जा रहा है। जब से यह सरकार आई है हर केस में ऐसा होता जा रहा है।

पार्टी प्रवक्ता पीएल पुनिया ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी या पार्टी की तरफ से कभी भगवा आंतकवाद शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। आतंक को किसी धर्म या समुदाय से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। पुनिया ने कहा कि पार्टी इस मामले में अदालत के आदेश का अध्ययन करने के बाद प्रतिक्रिया देगी। क्योंकि, इस तरह की खबरें भी आई कि इस मामले में आरोपियों का इकबालिया बयान भी गायब हो गया था।

पूर्व गृहमंत्री और कांग्रेस नेता शिवराज पटिल ने कहा, यह कहना बहुत ही कठिन है कि फैसला सही है या गलत। उन्होंने कहा, वह जांच एजेंसी की ओर से दाखिल आरोपपत्र, मामले में पेश गवाहों के बयान और अभियोजन द्वारा उनके परीक्षण के तौर तरीकों से अनभिज्ञ हैं।

एआईएमआईएम के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को आरोप लगाया कि मक्का मस्जिद विस्फोट मामले को एनआईए ने सही तरीके से अदालत में नहीं रखा। उन्होंने ट्वीट कर कहा, मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में अधिकतर गवाह जून 2014 के बाद से मुकर गए। एनआईए ने या तो मामले को ठीक तरीके से अदालत में नहीं रखा जैसा कि उससे उम्मीद की जा रही थी या वह राजनीतिक दबाव में काम कर रही थी।

ओवैसी ने कहा कि मामले में न्याय नहीं हुआ है। अगर इस तरह से पक्षपातपूर्ण अभियोजन जारी रहा, तो आपराधिक न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े होंगे। उन्होंने कहा, एनआईए और मोदी सरकार ने जमानत के खिलाफ अपील नहीं की, जो आरोपियों को 90 दिन के अंदर दे दिए गए। यह पूरी तरह पक्षपातूपर्ण जांच थी जो आतंकवाद से लड़ने के हमारे संकल्प को कमजोर करेगी।