लखनऊ: बीजेपी के अंदर ही दलित नेताओं ने अपना विरोध का सुर बुलंद करना शुरू कर दिया है. पिछले दिनों बहराइच की सांसद सावि​त्री बाई फुले ने एससी, एसटी एक्ट को लेकर अपनी ही सरकार को घेरा. इसके बाद बीजेपी के रॉबर्ट्सगंज से सांसद छोटेलाल का नाम भी इस लिस्ट में जुड़ गया. इसी क्रम में नया नाम इटावा के बीजेपी सांसद अशोक दोहरे का भी है, जो दलित उत्पीड़न से आहत हैं. अशोक दोहरे ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और अपना शिकायती पत्र सौंपा.

बीजेपी सांसद का आरोप है कि भारत बंद के बाद पूरे देश व यूपी में पुलिस दलितों का जमकर उत्पीड़न कर रही है. उन्होंने कहा कि झूठे मामलों में दलितों को फंसाया जा रहा है. पत्र में बीजेपी सांसद ने लिखा है कि, “अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों पर पूरे भारत वर्ष, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में सरकार और स्थानीय पुलिस द्वारा इन वर्गों के लोगों पर अत्याचार किया जा रहा है और झूठे मुकदमों में फंसाया जा रहा है. पुलिस निर्दोष लोगों को घरों से निकाल कर जतिसूचक शब्दों द्वारा मारपीट व अपमानित करके उन्हें गिरफ्तार कर रही है. जिसकी वजह से इन वर्गों में रोष व असुरक्षा की भावना बढती जा रही है."

इटावा के बीजेपी सांसद अशोक दोहरे औरैया जनपद के ग्राम रमपुरा के रहने वाले हैं. विगत वर्ष 2000 तक यह अजीतमल ब्लॉक में ग्राम पंचायत अधिकारी के पद पर तैनात रहे. बीएसपी सुप्रीमो मायावती से प्रभावित होकर वर्ष 2000 में सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर बीएसपी में शामिल हो गए.

2002 में बीएसपी की टिकट पर औरैया की अजीतमल विधानसभा से चुनाव लड़े और हार गए. फिर 2007 में इसी विधानसभा से चुनाव लड़े और जीते. मायावती ने इन्हें कैबिनेट मंत्री भी बनाया. बीएसपी सरकार में कुछ मंत्रियों से मनमुटाव हुआ ओर 5 अक्टूबर 2013 में बीजेपी में शामिल हो गए. 2014 के लोकसभा चुनाव में अशोक दोहरे इटावा सीट से बीजेपी के सांसद चुने गए. दोहरे जब से सांसद बने हैं