लखनऊ। विज्ञान भवन के सर सी.वी.रमन प्रेक्षा गृह में जैव प्रौद्योगिकी की भूमिका और उसके जनमानस में लाभ पर आयोजित एक दिवसीय सेमिनार के मुख्य अतिथि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, उ.प्र. के प्रमुख सचिव हेमन्त राव ने प्रदेश व देश के वैज्ञानिकों एवं तकनीकी विदों का ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा कि किसानो, ग्रामीणों तथा अस्पतालों में भर्ती मरीजों को सीधे लाभ पहुंचाने के लिए जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा शोध कार्य और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के कार्य किया जाना चाहिए। श्री राव ने बल देते हुए कहा कि बालक-बालिकाओं तथा महिलाओं में व्याप्त कुपोषण की समस्या का समाधान जैव प्रौद्योगिकी से ही सम्भव है। ज्यादातर बच्चे अपनी शारीरिक लम्बाई को लेकर सर्वाधिक चिन्तित रहते हैं। इसका समाधान जैव प्रौद्योगिकी के द्वारा विकसित प्राकृृतिक पोषक पदार्थों से ही सम्भव है। पर्यावरण को प्रभावित किये बिना सुरक्षित तरीकों से विकसित न्यूट्रास्टिक्यूल्स और संतुलित पोषक आहार से प्रत्येक आयु वर्ग के जनमानस की जीवन शैली को बेहतर बनाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश में जैव प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों विशेष रूप से स्वास्थ्य एवं फार्मास्युटिकल तथा कृृषि व खाद्य में शोध एवं विकास का कार्य, प्रौद्योगिकियों का औद्योगिकीकरण करने के लिए अपार संसाधन, सुविधाएं और प्रतिभाएं उपलब्ध हैं। कृृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए रसायनिक खादों को उपयोग कम करने और जैव प्रौद्योगिकी द्वारा विकसित बायोफर्टिलाइजर को बढ़ावा देना चाहिए।

सेमनार के विशिष्ठ अतिथि बायोटेक पार्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डाॅ. प्रमोद टण्डन ने योजनाकारों तथा आर्थिक सलाहकारों की ओर ध्यान केन्द्रित करते हुए कहा कि देश की जी.डी.पी. बढ़ाने के लिए बायोटेक्नालाॅजी सेक्टर को महत्व देना अति आवश्यक है। प्रदेश में जैव प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित सभी विकास कार्यक्रमों, रोजगार तथा उद्योगों को विस्तार देने के लिए कार्पोरेट फण्डिग बहुत जरूरत है। इतना ही नहीं प्रदेश में जैव प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग सेण्टर आफ एक्सीलेंस की स्थापना किया जाना आवश्यक है। इस दिशा में तुरन्त कार्य करने के लिए राज्य नीतिकारों और कार्यान्वयन करने वाली संस्थाओं त्वरित कदम उठाये जाने चाहिए।

उद््घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एम.एल.बी. भट्ट ने अपने सम्बोधन में कहा कि जैव प्रौद्योगिकियों का उपयोग केवल जीवन वृृद्धि के लिए करना चाहिए। इस क्षेत्र में किये जाने वाला हर कार्य और उपकरणों का उपयोग किसी भी प्रकार की प्राकृतिक सम्पदा की क्षति और दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। वर्तमान एवं भविष्य की पीढ़़ी के लिए जरूरी है कि न्यूट्रीशन, फूड, फार्मास्युटिकल एण्ड एग्रीकल्चर के विकास और प्रोत्साहन आदि का कार्य प्रयोगशाला में ही सीमित न रहे बल्कि व्यापक और प्रभावी ढंग से व्यवहार में लाने के लिए वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, शोधार्थियांे तथा प्रमोटर्स को अपनी सीमाओं से निकलकर सुदूर गांवों के जनमानस तक जाना चाहिए।

तकनीकी सत्रों में वैज्ञानिक सम्बोधन के लिए आमंत्रित सीमैप के पूर्व निदेशक डाॅ. सुमन पी. एस. खनूजा ने फार्मास्युटिकल के क्षेत्र में किये जा रहे शोध और दिनों-दिन बढ़ रहे उत्पादन की गुणवत्ता के वैज्ञानिक पहलुओं पर प्रकाश डाला। सेंट्रल सबट्राॅपिकल हार्टीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ के प्रधान वैज्ञानिक डाॅ. मुत्थू कुमार ने गुणवत्ता युक्त खाद्य व आहार को विकसित करने के लिए एग्री-बायोटेक्नालाॅजी की बढ़ती भूमिका और सफलता के लिए किये जा रहे कार्यों से परिचित कराया। भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ के प्रधान वैज्ञानिक डाॅ अमरेश चन्द्र ने गन्ना की गुणवत्ता बढ़ाने में जैव प्रौद्योगिकी के उपयोग और बढ़ती सम्भावनाओं पर विस्तृृत जानकारी दी। डाॅ. बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ की प्रो. शुभिनी सर्राफ ने फार्मास्युटिकल विज्ञान के क्षेत्र में विद्यार्थियों व शोधार्थियों को ज्यादा से ज्यादा कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया।

सेमिनार में एन.बी.आर.आई., सीडीआरआई, सीमैप, के.जी.एम.यू., आई.आई.एस.आर., लखनऊ विश्वविद्यालय, इंटीग्रल यूनीवर्सिटी, गोयल इंजीनियरिंग कालेज, बायोटेक नेटवर्किंग फैसिलिटी सेण्टर, बायोटेक पार्क, सुदूर संवेदन उपयोग केन्द्र, उ. प्र. आदि से आये तमाम वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, शिक्षकों, शोधार्थियों व विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया। परिषद के सभी अधिकारी व कार्मिकों ने सेमिनार को सफल बनाने के लिए अपना योगदान दिया। कार्यक्रम में आमंत्रितों का स्वागत परिषद की संयुक्त निदेशक डाॅ. हुमा मुस्तफा ने किया और परिषद के सचिव श्री आई. डी. राम ने धन्यवाद ज्ञापित किया।