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चारा घोटाला के चौथे मामले में लालू को 14 साल की सजा, 60 लाख का जुर्माना

रांची: बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाले के चौथे दुमका कोषागार मामले में लालू प्रसाद यादव को दो धाराओं में 7-7 साल की सजा का ऐलान किया गया है। दोनों सजाएं अलग-अलग चलेंगी। साथ ही लालू यादव पर 60 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना ना देने की स्थिति में 1-1 साल की सजा बढ़ जाएगी। सीबीआई की विशेष अदालत ने दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपए की अवैध निकासी के मामले में लालू यादव को यह सजा सुनायी है। बता दें कि चारा घोटाले में लालू यादव को मिली यह सबसे बड़ी सजा है। दुमका कोषागार मामले में 5 मार्च को सुनवाई पूरी कर ली गई थी, जिसके बाद लालू यादव द्वारा दाखिल की गई कई याचिकाओं के कारण सजा पर सुनवाई टलती आ रही थी। आज सीबीआई की विशेष अदालत ने आखिरकार लालू प्रसाद यादव की सजा का ऐलान कर दिया। हालांकि सजा सुनाए जाने के वक्त लालू प्रसाद यादव कोर्ट में मौजूद नहीं थे। लालू यादव इन दिनों रांची की बिरसा मुंडा जेल में अपनी सजा काट रहे थे। बीते दिनों तबीयत खराब होने के कारण लालू प्रसाद यादव को जेल से रांची के रिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

तीन अन्य मामलों में दिए जा चुके दोषी करारः दुमका कोषागार मामले में लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्र समेत 31 लोगों को आरोपी बनाया गया था। लालू यादव के वकीलों को उम्मीद थी कि उनकी बढ़ती उम्र और खराब तबीयत के कारण कोर्ट उनकी सजा में कुछ नरमी बरतेगा। लेकिन कोर्ट ने कोई नरमी ना बरतते हुए लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले में सबसे बड़ी सजा सुनायी। लालू यादव इससे पहले चारा घोटाले के 3 अन्य मामलों में भी दोषी करार दिए जा चुके हैं। चारा घोटाले के कुल 6 मामलों में लालू प्रसाद यादव आरोपी हैं, जिनमें से पहले मामले में लालू यादव को साल 2013 में 5 साल की सजा, दूसरे मामले में साल 2017 में साढ़े तीन साल की सजा और तीसरे मामले में 5 साल की सजा सुनायी गई। अब चौथे दुमका कोषागार मामले में लालू यादव को दो धाराओं में 7-7 साल की सजा सुनायी गई है। इनके अलावा लालू यादव को 2 अन्य मामलों में भी आरोपी बनाया गया है और अभी इन पर सुनवाई चल रही है।

बता दें कि 1990 के दशक में बिहार में बहुचर्चित चारा घोटाला हुआ था, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को आरोपी बनाया गया था। पटना हाईकोर्ट द्वारा मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई। बिहार और झारखंड के बंटवारे के बाद कुछ मामले रांची ट्रांसफर कर दिए गए थे। दुमका कोषागार मामला भी उन्हीं मामलों में से एक है।

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