एसआईडीबीआई-सिडबी ने ट्रांसयूनियन सीआईबीआईएल के साथ ‘एमएसएमई पल्स’ को लॉन्च किया है – यह एमएसएमई क्रेडिट गतिविधि पर एक तिमाही रिपोर्ट है, जिसमें देश के एमएसएमई सेगमेंट पर करीब से नजर डाली गई है। यह रिपोर्ट 5 मिलियन से अधिक सक्रिय एमएसएमई पर आधारित है, जिनकी भारतीय बैंकिंग प्रणाली में ऋण सुविधाओं के जरिए औपचारिक ऋण तक सीधी पहुंच है।

भारतीय बैंकिंग प्रणाली में गतिशील ऋण सुविधाओं के साथ औपचारिक ऋण तक सीधी पहुंच वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे जीवंत और गतिशील क्षेत्र है। देश में लगभग 51 मिलियन एमएसएमई इकाइयां हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में करीब 117 मिलियन लोगों को रोजगार देती हैं, जो कि कुल कर्मचारियों का 40 फीसदी है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में एमएसएमई की हिस्सेदारी लगभग 37 फीसदी है और वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार निर्यात में भी इनकी हिस्सेदारी लगभग 43 फीसदी है। इस सेगमेंट की महत्वपूर्ण प्रकृति को ध्यान में रखते हुए नीतियों, बैंकिंग और व्यवसाय निर्णयों की प्रभावशीलता लिहाज से हमने एमएमएमई पोर्टफोलियो पर नियमित निगरानी रखी है, ताकि समय रहते हुए किसी भी संभावित नुकसान से बचा जा सके।

सर्वेक्षण के मुख्य निष्कर्षों के अनुसार जहां पिछले 2 वर्षों के दौरान, एमएसएमई सेगमेंट में समस्त रूप से एनपीए कवरेज की दर 8 फीसदी फीसदी से बढकर 11 फीसदी हो गई है, वहीं इसी अवधि में बड़े कॉर्पोरेट्स की एनपीए दर 7.9 फीसदी से बढ़ कर 16.9 फीसदी आंकी गई है। इसके अलावा, औपचारिक ऋण क्षेत्र में प्रवेश करने वाले नए उधारकर्ताओं में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है, जो जुलाई 2016 से दिसंबर 2017 तक छह महीने की अवधि के लिए 2.7 लाख से बढकर 4 लाख हो गए हैं, जिससे नए निवेश किए जा रहे हैं। रिपोर्ट जोखिम और मुनाफे के परिप्रेक्ष्य से ऋणदाता संस्थाओं के प्रमुख एमएसएमई क्षेत्रों पर एक अंर्तदृष्टि देती है, वहीं रिपोर्ट में विमुद्रीकरण और जीएसटी के दोहरे आर्थिक अवरोधों के असर को प्रस्तुत करने के साथ-साथ जीएसटी तहत आने वाले एमएसएमई के लिए आरबीआई की ओर से दिए गए राहत उपायों की प्रभावशीलता को भी परखा गया है।