नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भैयाजी जोशी को चौथे कार्यकाल के लिए संगठन का राष्ट्रीय महासचिव (सरकार्यवाह) चुन लिया है. वे साल 2009 से लगातार संघ के सरकार्यवाह हैं. आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की नागपुर में जारी तीन दिवसीय बैठक में शनिवार को यह चुनाव हुआ.

सरकार्यवाह आरएसएस प्रमुख यानी सरसंघचालक के बाद सबसे अहम पद है. आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा हर तीन साल में आयोजित होती है और इसी में राष्ट्रीय महासचिव का चुनाव होता है. यह संघ के अहम फैसले लेने वाली संस्था है. भैयाजी जोशी का चौथा कार्यकाल मार्च 2021 तक होगा. सभा की बैठक 9 मार्च को शुरू हुई और 11 मार्च तक चलेगी.

उल्लेखनीय है कि संघ के कई नेता चाहते थे कि भैयाजी जोशी तीन साल का एक कार्यकाल और लें. हालांकि खुद जोशी स्वयं इसके पक्ष में नहीं थे. इस चुनाव से पूर्व सरकार्यवाह के पद के लिए सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले या कृष्ण गोपाल के नामों की भी चर्चा चलती रही थी. संघ के सरकार्यवाह का चुनाव इस बार इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया था क्योंकि अगले एक साल में लोकसभा समेत कई राज्यों के महत्वपूर्ण चुनाव होने हैं.

आरएसएस की प्रतिनिधि सभा में शनिवार को भारतीय भाषाओं के संरक्षण एवं संवर्द्धन की आवश्यकता के लिए प्रस्ताव पारित किया गया. प्रतिनिधि सभा का मत है कि भाषा किसी भी व्यक्ति एवं समाज की पहचान का एक महत्वपूर्ण घटक तथा उसकी संस्कृति की सजीव संवाहिका होती है. देश में प्रचलित विविध भाषाएं व बोलियां हमारी संस्कृति, उदात्त परंपराओं, उत्कृष्ट ज्ञान एवं विपुल साहित्य को अक्षुण्ण बनाए रखने के साथ ही वैचारिक नवसृजन के लिए भी परम आवश्यक हैं. विविध भाषाओं में उपलब्ध लिखित साहित्य की अपेक्षा कई गुना अधिक ज्ञान गीतों, लोकोक्तियों तथा लोक कथाओं आदि की वाचिक परंपरा के रूप में होता है. आज विविध भारतीय भाषाओं व बोलियों के चलन तथा उपयोग में आ रही कमी, उनके शब्दों का विलोपन व विदेशी भाषाओं के शब्दों से प्रतिस्थापन एक गम्भीर चुनौती बनकर उभर रहा है.

प्रस्ताव में कहा गया है कि आज अनेक भाषाएं एवं बोलियां विलुप्त हो चुकी हैं और कई अन्य का अस्तित्व संकट में है. अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का मानना है कि देश की विविध भाषाओं तथा बोलियों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए सरकारों, नीति निर्धारकों और स्वैच्छिक संगठनों सहित समस्त समाज को सभी संभव प्रयास करने चाहिए.