लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सियासत की नई बिसात बिछती दिख रही है. इसकी शुरुआत बहुजन समाज पार्टी ने कर दी है. उसने गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव के लिए अपने चिर प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को समर्थन का ऐलान किया है. अब माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी बसपा को रिटर्न गिफ्ट देने की तैयारी कर रही है. सपा के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, पार्टी बसपा सुप्रीमो मायावती को राज्यसभा प्रत्याशी के तौर पर समर्थन देने का मन बना चुकी है.

मायावती वैसे तो बिहार की राष्ट्रीय जनता दल से मिले राज्यसभा भेजने के प्रस्ताव को पहले ही खारिज कर चुकी हैं, लेकिन यूपी की सियासत में तेजी से बदलते घटनाक्रम में अब सत्ता के गलियारे में चर्चाएं तेज़ हैं कि बसपा का सपा को समर्थन कहीं न कहीं राज्यसभा चुनाव से होते हुए लोकसभा चुनाव तक पहुंच रहा है.

दरअसल उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों को लेकर चुनाव होना है. मौजूदा विधानसभा का गणित देखें तो बीजेपी 8 सीट आसानी से जीतती दिख रही है. वहीं समाजवादी पार्टी एक सीट अपने नाम आसानी से कर लेगी, लेकिन आखिरी दसवीं सीट के लिए बीजेपी और विपक्ष में घमासान होने की पूरी उम्मीद है. ये एक सीट जीत से कहीं ज्यादा वर्चस्व कायम करने की लड़ाई का आधार मानी जा रही है.

गठबंधन होने की सूरत में राज्यसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी के तौर पर तीनों पार्टियों से सबसे बड़ा नाम अगर कोई आता है तो वह मायावती ही हैं. हालांकि बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की मानें तो मायावती राज्यसभा जाने से इनकार कर चुकी हैं. तेजस्वी ने बताया था कि राज्यसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने पर उन्होंने बसपा प्रमुख को फोन किया, क्योंकि उनके पिता राजद सुप्रीमो लालू यादव ने एक से अधिक बार घोषणा की थी कि राज्यसभा चुनाव में वह बहनजी को बिहार से अपनी पार्टी के समर्थन से भेजेंगे. लेकिन मायावती ने तेजस्वी यादव को साफ़ कहा कि जब तक सदन में भाजपा का बहुमत है, फ़िलहाल वह राज्यसभा की सदस्य नहीं बनना चाहतीं.

इस संबंध में समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सुनील सिंह साजन ने पिछले दिनों कहा कि पार्टी से एक सदस्य तो राज्यसभा जाना तय है. अब बचे विधायकों की बात करें तो हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार प्रयास में हैं कि सेक्युलर और समाजवादी विचारधारा के लोगों को साथ लाया जाए. ताकि 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को करारा जवाब दिया जा सके. सुनील सिंह कहते हैं कि इसी क्रम में राज्यसभा चुनावों के दौरान अगर इस समाजवादी विचारधारा के लोग आगे आते हैं तो समाजवादी पार्टी समर्थन देने में पीछे नहीं हटेगी.

उधर संभावनाओं को लेकर कांग्रेस भी इंतजार की मुद्रा में दिख रही है. यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता द्विजेंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि यूपी विधानसभा में हमारे पास 7 सीटें हैं. जाहिर है कि हम किसी भी सीट को निकाल पाने की स्थिति में नहीं हैं. लेकिन राजनीतिक संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं. पार्टी हित में जो भी जरूरी होगा पार्टी हाईकमान वही फैसला करेगा.