लखनऊ: एक गैर-लाभकारी संगठन मोबियस फाउंडेशन ने ‘आकार’ प्रोजेक्ट को शुरू करने की घोषणा की, जो कि जनसंख्या स्थिरीकरण को प्रोत्साहित करने की भारत सरकार की प्रतिबद्धता की दिशा में एक पहल है। मोबियस फाउंडेशन के संस्थापक प्रदीप बर्मन ने अन्य गणमान्य व्यक्तियों सहित सभा को संबोधित किया जिसमें बाराबंकी की सांसद (भाजपा) सुश्री प्रियंका सिंह रावत, सुश्री सविता चैहान डीजीएम (आईईसी) एसआईएफपीएसए के साथ लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी नरेंद्र अग्रवाल उपस्थित थे । इस अवसर पर एक टेलीविजन विज्ञापन भी जारी किया गया जिसमें देश में मशहूर टेलीविजन अभिनेत्री साक्षी तंवर नजर आयेंगी। उत्तर प्रदेश में प्रजनन आदतों और प्रभावी समुदाय कार्यों में सुधार के लक्ष्य के साथ, एक टोल फ्री नंबर (1800-8439-843) की भी घोषणा की गई, जिसके जरिये जनसंख्या -नियंत्रणके आधुनिक उपायों को अपनाकर लोगों को ‘दंपति नंबर 1’ बनने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा। यह प्रोजेक्ट शुरुआत में उत्तर प्रदेश के दो जिलों (बहराइच और बाराबंकी) के 200 गांवों में चलाया जाएगाऔर आगे उच्च जन्म दर वाले तीनअन्य जिलों में भी इसका विस्तार कियाजायेगा। समग्र दृष्टिकोण के साथ प्रोजेक्ट आकार लोगों को प्रजनन स्वास्थ्य, परिवार नियोजन और गर्भनिरोधकों की महत्ताग पर शिक्षित करेगा। मोबियस फाउंडेशन द्वारा अपने ‘समुदाय स्थिरता समाधान कार्यक्रम’ के हिस्से के रूप में इस प्रोजेक्ट का समर्थन किया जा रहा है और यह स्थानीय एनजीओकर्तव्यशिला महिला एवं बाल विकास संस्थान के साथ साझेदारी में क्रियान्वित किया जायेगा।

मोबियस फाउंडेशन के संस्थापक श्री प्रदीप बर्मन ने इस अवसर पर कहा,‘प्रोजेक्ट आकार के जरिये मोबियस फाउंडेशन राज्यनके 200 मिलियन लोगों को जोड़ेगा और सरकारी प्रयासों को मजबूत बनाएगा कि दंपति और समुदाय स्वस्थ परिवार नियोजन उपायों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित हों। जनसंख्या स्थिरीकरण बहुत महत्वपूर्ण है और हमारा लक्ष्य एक बेहतरभविष्य को पाना है, जहां हर किसी को बुनियादी जरूरतों से समझौता किए बगैर गुणवत्तापूर्ण जीवन मिले।’ मोबियस फाउंडेशन देश भर में विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रमों की अगुवाई कर रहा है और कर्नाटक के कुर्ग में आवासीय हरित विद्यालय परियोजना तथा उत्तर प्रदेश के अतरोली गांव में डे स्कूल परियोजना के सफल क्रियान्वयन के बाद “आकार” इसके द्वारा शुरू की गई तीसरी सबसे बड़ी पहल है। इस विशेष प्रोजेक्ट पर अपने विचार साझा करती हुये बाराबंकी की सांसद (भाजपा) सुश्री प्रियंका सिंह रावत ने कहा परिवार नियोजन न सिर्फ संवहनीय जनसंख्या वृद्धि को प्रोत्साहित करता है, बल्कि अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और क्षेत्रीय विकास प्रयासों पर भी असर डालता है। मैं खुश हूं कि मोबियस फाउंडेशन ने इस अहममसले की पहचान की और आधुनिक गर्भनिरोधक उपायों के इस्तेमाल को लेकर लोगों को जागरुककरने की दिशा में कदम बढ़ाया है।’

अनुसंधान के आंकड़े उजागर करते हैं कि उत्तर प्रदेश में सिर्फ 31.7 प्रतिशत दंपत्तिगर्भनिरोधक उपायों का इस्तेमाल करते हैं, जो परिवार नियोजन की तरफ लोगों के बर्ताव और मौजूदा धारणा से अवगत कराता है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे, 2015-16 (एनएफएचएस-4) के अनुसार, उत्तर प्रदेश देश की दूसरी उच्चतम मातृ मृत्यु-दर (प्रति एक लाख जन्म पर 258 मौतें) और उच्चतम शिशु मृत्यु दर (एक हजार जन्म पर 64 मौतें) वाला राज्य है। परियोजना अकार के महत्व को उजागर करना, लखनऊ के चीफ मेडिकल ऑफिसर श्री नरेंद्र अग्रवाल ने कहा, परियोजना अकार एक बहुत अच्छी पहल है जिसे उत्तर प्रदेश के लोगों को पेश किया गया है और हम जागरूकता फैलाने में पूर्ण समर्थन देंगे। मैं मोबियस फाउंडेशन को प्रजनन युग में जोड़ों के बीच गर्भनिरोधक उपायों को अपनाने की दिशा में धारणाओं को प्रभावित करके और प्रभाव को प्रभावित करके बदलाव लाने के लिए इस पहल को लेने के लिए धन्यवाद करना चाहता हूं। अवसर पर बोलते हुए डीजीएम (आईईसी) एसआईएफपीएसए ने कहा, परिवार नियोजन एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और एनजीओ के सहयोग से विभिन्न अभियानों और कार्यक्रमों की शुरुआत की गई है। सरकार वर्तमान में उत्तर प्रदेश में मिशन परिवार स्वास्थ्यश् अभियान चला रही है। प्रदेश में जहां दो नए परिवार नियोजन विधियों- अन्तरा और चाया गोली महिलाओं के लिए शुरू की गई हैं जो गैर हार्मोनल दवाइयां हैं और उनका उपयोग करने के लिए बहुत सुरक्षित है। मुझे आशा है कि परियोजना अकार आने वाले महीनों में सकारात्मक बदलाव लाएगा। इस अभियान में तकनीक को एक साधन के तौर पर शामिल किया गया है जोकि मोबाइल फोन की मदद से लक्षित समूहों से जुड़ाव बनाने और प्रजनन स्वास्थ्य एवं परिवार नियोजन सेवाओं से संबंधित महत्विपूर्ण जानकारी साझा करने के लिए दीर्घकालिक जुड़ाव बनायेगी। मीडिया और तकनीक के प्रभावी उपयोग ने धारणाओं को बदलने में हमेशा मदद की है, जिससे प्रभावी समुदाय कार्य हुए। इसके अतिरिक्तण, गांवों में दंपत्तियों को परामर्श दिया जायेगा, प्रभावी व्यीक्तियों के नेतृत्व में कार्यक्रम चलाये जायेंगे, सामुदायिक संदेश के लिए नुक्कदड़, लोक कला आदि का प्रदर्शन किया जायेगा। इसलिए, यह जागरूकता अभियान पारंपरिक संपर्क और आधुनिक तकनीक, दोनों को समाहित करेगा, ताकि लक्षित समुदायों के बीच वार्तालाप को बढ़ावा दिया जा सके।