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इन्वेस्टर्स समिट सिर्फ डेस्टिनेशन समिट बनकर रह गया : कांग्रेस

लखनऊ: उ0प्र0 सरकार द्वारा लखनऊ में आयोजित इन्वेस्टर्स समिट ‘डेस्टिनेशन वेडिंग’ की तरह ‘डेस्टिनेशन समिट’ साबित हो रही है। इन्वेस्टर्स समिट सिर्फ डेस्टिनेशन समिट बनकर रह गया है क्योंकि प्रदेश में होने वाले निवेश को बाहर भेजा जा रहा है चाहे वह अमेठी का मेगा फूड पार्क हो, हिन्दुस्तान पेपर मिल्स हो, नैट्रिप आटोमोटिव पार्ट, ट्रिपल आईटी, ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट हो, इन सभी को प्रदेश के बाहर भेजने का काम भाजपा सरकार ने किया है। सरकार की निवेश के प्रति मंशा प्रदेश की जनता के सामने उजागर हो चुका है।

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अमरनाथ अग्रवाल ने आज जारी बयान में कहा कि यदि सरकार रोजगार व निवेश के प्रति संजीदा है तो उसे प्रदेश में स्थापित पहले से ही गोरखपुर फर्टिलाइजर्स, सरकारी शुगर मिल्स, यूपीडीपीएल, अपट्रान, लाल इमली आदि जो कल कारखाने बन्द पड़े हैं जिनके पास इन्फ्रास्ट्रक्चर भी है और जमीन भी है, इन्हें चालू करना चाहिए।

प्रदेश में पर्यटन को एक बड़ी संभावना बताने वाले यह वही लोग हैं जो यूपी के गौरव ताजमहल को तेजो महल बताते हैं विवाद उत्पन्न करने का काम करते हैं। इतना ही नहीं प्रदेश में पर्यटन की पुस्तिका से ताजमहल को हटा देते हैं जबकि ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में से एक है और दुनिया का टूरिस्ट उ0प्र0 में इसी को देखने आता है। भाजपा सरकार में विदेशी पर्यटक तक सुरक्षित नहीं हैं चाहे वह फतेहपुर सीकरी, मिर्जापुर या वाराणसी की घटना हो जिसमें विदेशी पर्यटकों के साथ बदसलूकी की गयी।

प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश में भाजपा के सांसदों एवं विधायकों द्वारा उच्च अधिकारियों से बदसलूकी व भ्रष्टाचार बढ़ने की बात करना, कासगंज जैसी तमाम घटनाओं के चलते निवेशकों को सुरक्षा के प्रति कैसे आश्वस्त किया जा सकता है।

श्री अग्रवाल ने कहा कि जिस प्रकार वाइब्रेन्ट गुजरात के नाम पर 2003 से लेकर 2017 तक नौ बार ऐसी ही समिट हुई हैं और जिसमें 144 लाख करोड़ के एमओयू साइन किये गये थे उसमें सिर्फ 5 से 7 प्रतिशत ही धरातल पर आ सके। ठीक उसी प्रकार उ0प्र0 में भी चाहे वह पिछली गैर कांग्रेसी सरकारों द्वारा उ0प्र0 विकास परिषद के नाम पर समिट का आयोजन हो, इनसे प्रदेश में अभी तक कोई भी अपेक्षित परिणाम नहीं दिखा। यही हाल मध्य प्रदेश में 2007 में इन्वेस्टर्स समिट का हुआ है जहां उद्योगपति एमओयू तो साइन कर गये लेकिन इन्वेस्टमेंट के नाम पर शून्य रहा। वहीं भारत सरकार के नीति आयोग द्वारा कांग्रेस शासित प्रदेश कनार्टक को निवेश के क्षेत्र में नम्बर एक राज्य का दर्जा दिया गया है।

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