नई दिल्ली: मध्यप्रदेश में बिजली खरीद में करोड़ों रुपए का बड़ा घोटाला हुआ है. यह घोटाला उस समय उजागर हुआ जब प्रदेश की बिजली कंपनियों ने अपनी वार्षिक राजस्व आवश्यकता रिपोर्ट विद्युत नियामक आयोग के समक्ष प्रस्तुत की. रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश की बिजली कंपनियों ने अन्य बिजली उत्पादक कंपनियों को पिछले 3 वर्ष में 6 हजार 626 करोड़ रुपए का भुगतान किया है, जबकि उनसे एक भी यूनिट की बिजली नहीं खरीदी गई.

विद्युत नियामक आयोग ने इस रिपोर्ट पर आपत्ति आमंत्रित की है. इसके बाद जबलपुर के नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने आयोग को एक पत्र लिखकर घोटाले की गंभीरता से जांच कराए जाने की मांग की है. शिकायतकर्ता डॉ पी जी नाजपांडे ने कहा कि इस बिजली घोटाले की गंभीरता से जांच होनी चाहिए. अगर विद्युत नियामक आयोग मामले की पर जांच कर कार्रवाई नहीं करता तो हम मामले को लेकर लोकायुक्त से शिकायत करेंगे.

नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रदेश संयोजक का कहना है कि मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों ने बिजली उत्पादन कंपनियों से सबसे अधिक संख्या में पावर परचेज एग्रीमेंट कर रखा है. प्रदेश में पहले से ही पर्याप्त बिजली थी इस कारण वर्तमान में बिजली क्षमता का उपयोग नहीं हो सका.

यहां तक कि जिन कंपनियों के साथ एग्रीमेंट हुए थे उनसे भी बिजली खरीदने की जरूरत नहीं पड़ी. बिजली उत्पादन कंपनियों से एग्रीमेंट हो चुका था इसलिए एग्रीमेंट की शर्तों के मुताबिक प्रदेश की बिजली कंपनियों को बिजली ना खरीदने के बावजूद करोड़ों रुपए का भुगतान करना पड़ा. इसका खामियाजा प्रदेश की गरीब जनता भुगतेगी.

इस पूरे मामले पर कांग्रेस ने प्रदेश की भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया है. कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि बिजली खरीदी में भारी भ्रष्टाचार हुआ है. उन्होंने कहा कि जनता का पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया. सरकार बिजली बिलों में कटौती कर जनता के पैसे चुकाए.