नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने राज्यसभा में आज (08 फरवरी) को बजट को ‘‘जुमलों की सुनामी’’ करार दिया और कहा कि बजट में की गयी घोषणाएं और अर्थव्यवस्था के बारे में किये गये दावे हकीकत से कोसों दूर हैं। वित्त वर्ष 2018-19 के आम बजट पर चर्चा की शुरूआत करते हुए चिदंबरम ने मोदी सरकार के चौथे बजट को ‘‘जुमलों की सुनामी’’ करार दिया और सरकार से 12 सवाल पूछे। चिदंबरम ने पूछा कि आपने हर साल दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था, उसका क्या हुआ? उन्होंने सरकार से रोजगार की उसकी अपनी परिभाषा बताने और पिछले चार सालों में सृजित रोजगारों की संख्या का खुलासा करने की मांग करते हुये पूछा कि क्या सरकार आईएलओ को पकौड़ा बेचने को भी रोजगार की परिभाषा में शामिल करने का सुझाव देगी।

सत्ता पक्ष के सदस्यों के भारी शोर शराबे के बीच चिदंबरम ने सरकार पर बीते चार सालों से सिर्फ जुमलों की बारिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने बजट की घोषणाओं और अर्थव्यवस्था के बारे में किये गये दावों को हकीकत से दूर बताते हुये कहा कि सरकार के आधारहीन दावों के कारण ही राजकोषीय घाटा अब के शीर्ष स्तर पर और विकास दर न्यूनतम स्तर पर आ गयी है। उन्होंने सरकार पर आंकड़ों को छुपाने का आरोप लगाते हुये कहा कि पिछले चार सालों में आर्थिक वित्तीय घाटा बढ़ने की दर 3.2 से 3.5 प्रतिशत होने के बाद सरकार की देनदारियां बढ़कर 85 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गयी।