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राम नाईक ने लखनऊ क्रिश्चियन काॅलेज के मेधावियों को किया सम्मानित

लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज लखनऊ क्रिश्चियन कालेज के वार्षिक सम्मान दिवस समारोह में शिक्षा एवं खेल में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले मेधावी छात्र-छात्राओं को प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। समारोह में शिक्षकों एवं कर्मचारियों का भी सम्मान किया गया। इस अवसर पर नामित विधायक डाॅ0 डेंजिल गोडिन, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एस0पी0 सिंह, प्रधानाचार्य डाॅ0 मुकेश पति अन्य शिक्षकगण एवं छात्र-छात्रायें उपस्थित थें। समारोह की अध्यक्षता बिशप रेव0 फिलिप एस0 मैसी ने की। इस अवसर पर कालेज की वार्षिक पत्रिका का विमोचन भी किया गया।

राज्यपाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि छात्र अपने धर्म का पालन करें। उन्होंने कहा कि छात्रों का धर्म है कि विद्या अर्जित करें। यहाँ धर्म का अर्थ कर्तव्य से होता है। यदि सच्ची लगन से विद्यार्थी अपने धर्म का पालन करें तो उसे जहाँ एक ओर सम्मान मिलता है वहीं अन्य विद्यार्थियों को भी प्रेरणा मिलती है। केवल किताबी कीड़ा न होकर क्रीड़ा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी विद्यार्थी अपना योगदान दें। छात्र अपना लक्ष्य निर्धारित करके उसे प्राप्त होने तक मेहनत करें। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी स्वयं के साथ अपने परिवार, समाज और देश के लिए भी विचार करें।

श्री नाईक ने कहा कि उत्तर प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में महिला सशक्तीकरण का चित्र दिख रहा है। अब तक सम्पन्न राज्य विश्वविद्यालयों के दीक्षान्त समारोह में 13 लाख छात्र-छात्राओं में से 51 प्रतिशत उपाधियाँ छात्राओं ने अर्जित की हैं तथा 67 प्रतिशत पदक छात्राओं को प्राप्त हुये हैं। बेटियों को शिक्षा से वंचित नहीं किया जाना चाहिए बल्कि उन्हें शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराने के लिये और प्रयास होने चाहिए। पूर्व में महिलायें केवल नर्सिंग या शिक्षण सेवाओं में ही जाती थी। उन्होंने कहा कि चित्र बदल रहा है, आज महिलायें प्रशासनिक, पुलिस एवं सेना में भी अपनी सेवायें प्रदान कर रही हैं।

राज्यपाल ने जीवन में सफलता प्राप्त करने के चार मंत्र बताते हुये कहा कि सदैव प्रसन्नचित रह कर मुस्कराते रहें, दूसरों के अच्छे गुणों की प्रशंसा करें और अच्छे गुणों को आत्मसात करने की कोशिश करें, दूसरों को छोटा न दिखायें तथा हर काम को और बेहतर ढंग से करने का प्रयास करें। राज्यपाल ने ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का मर्म समझाते हुए कहा कि जो बैठ जाता है उसका भाग्य भी बैठ जाता है, जो चलता रहता है उसका भाग्य भी चलता है। सूरज इसलिए जगत वंदनीय है क्योंकि वह निरन्तर चलायमान है। उन्होंने कहा कि जीवन में निरन्तर आगे बढ़ने से सफलता प्राप्त होती है।

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