लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज संत गाडगे प्रेक्षागृह में भातखण्डे संगीत संस्थान सम विश्वविद्यालय के 7वें दीक्षांत समारोह में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पूरे विश्व में भारत की पहचान बढ़ रही है। हमारी संस्कृति की विशेषता विश्व समझ रहा है। योग और कुम्भ मेला को अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य पर मान्यता मिलना इसके परिचायक हैं। उसी प्रकार की ताकत भारतीय संगीत की है। भारतीय संगीत को ऊपर तक ले जाने की जिम्मेदारी नवोदित कलाकारों और विद्यार्थियों की है। उन्होंने कहा कि भारतीय संगीत को विश्व पटल पर मान्यता दिलाने के लिए और अधिक अध्ययन, शोध एवं रियाज की जरूरत है।

दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष डाॅ0 वी0एस0 चैहान, कुलपति श्रीमती श्रुति सडोलीकर काटकर, कार्यपरिषद एवं विद्या परिषद के सदस्यगण, शिक्षकगण, छात्र-छात्रायें तथा अभिभावकगण सहित अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे। राज्यपाल ने इस अवसर पर 5 विद्यार्थियों को पीएच0डी0 की उपाधि प्रदान की तथा एम0पी0ए0, बी0पी0ए0 के छात्रों को संगीत की विभिन्न विधाओं के लिए पदक, प्रशस्ति पत्र एवं नकद पुरस्कार वितरित किये।

श्री नाईक ने भातखण्डे संगीत संस्थान सम विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने के समर्थन में कहा कि संस्थान से सम का शब्द हटे और केन्द्रीय विश्वविद्यालय बने, का लक्ष्य लेकर आगे चलना है। भातखण्डे देश का एकमात्र संगीत विश्वविद्यालय है जहाँ स्थानीय विद्यार्थियों के साथ-साथ विदेश से भी छात्र-छात्रायें संगीत की शिक्षा ग्रहण करने आ रहे हैं। संस्थान के संस्थापक एवं उससे जुड़े संगीतज्ञों ने जिस तरह कला को अपने जीवन में आत्मसात किया है उसे स्मरण रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि यश प्राप्ति में शिक्षक और विद्यार्थियों के प्रयास से भातखण्डे भारत के प्राचीन तक्षशिला विश्वविद्यालय जैसा स्थान बन सकता है।

राज्यपाल ने छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि शैक्षिक कैलेण्डर में जैसे दीक्षांत समारोह का महत्व होता है उसी प्रकार विद्यार्थियों के जीवन का भी यह महत्वपूर्ण पड़ाव है। शिक्षा समाप्ति के बाद छात्र-छात्रायें वास्तविक जीवन में कदम रखते हैं। दीक्षांत समारोह में दिलायी गयी शपथ के शब्दों को याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि जीवन पर्यन्त शपथ के शब्दों के अनुसार कार्य करें तथा अपने माता-पिता व गुरूजन को सदैव याद रखें जिन्होंने इस स्तर तक पहुँचाया। सफल होने के लिए संगीत विश्वविद्यालय के छात्रों और अन्य विश्वविद्यालय के छात्रों में अंतर है। संगीत ऐसा क्षेत्र है जहाँ निरन्तर अभ्यास और प्रस्तुति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी अपने नाम के साथ-साथ संस्थान का भी नाम आगे बढ़ायें।

श्री नाईक ने कहा कि विश्वविद्यालय परिणाम के आकड़े महिला सशक्तीकरण का शुभ संदेश देते हैं। इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि 88 उपाधियों में से 54 उपाधियाँ छात्राओं की दी गयी तथा 34 उपाधि छात्रों को दी गयी तथा पदक पाने वालों में 56 प्रतिशत छात्रायें और 44 प्रतिशत छात्र थे। अन्य विश्वविद्यालयों में भी छात्रायें छात्रों से आगे हैं। देश में हम परिवर्तन के साक्षी हैं कि पहले महिलायें केवल शिक्षण या नर्सिंग क्षेत्र में कार्य करती थी। बदलते परिवेश में महिलायें उच्च पदों को सुशोभित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि बेटियों को मुक्त वातावरण मिलता है तो वे निश्चित रूप से प्रगति करती हैं।

समारोह के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष डाॅ0 वी0एस0 चैहान ने अपने सम्बोधन में कहा कि संगीत एक साधना एवं उपासना है। एक परिपक्व संगीतज्ञ बनने के लिए अनवरत रियाज आवश्यक है। एक अच्छा संगीतज्ञ अपने संगीत के माध्यम से श्रोता को भाव-विभोर कर सकता है। उन्होंने कहा कि संगीत में हमारी प्राचीन परम्परा रही है हमें देखना होगा कि डिजिटल तकनीक के युग में नई पीढ़ी इसे और अधिक ऊंचाईयों पर ले जाये।