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यरूशलेम को इसराइल की राजधानी स्वीकार करने का अमेरिकी निर्णय भडकाऊ कदम : मजलिसे उलेमाए हिंद

लखनऊ: मजलिसे उलेमाए हिंद यरूशलेम को इसराइल की राजधानी स्वीकार करने और बेत उल मुकद्वस में अमेरिकी दूतावास खोलने के अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के निर्णय की निंदा करती है और इस भड़काऊ एवं गेर कानुनी बयान के खिलाफ कड़ा विरोध जताती है।

मजलिसे उलेमाए हिंद के महासचिव मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी ने ट्रम्प के इस फैसले को क्षेत्र एवं मध्य पूर्व की सुरक्षा के लिये खतरा बताते हुए कहा कि ट्रम्प के इस गैर कानुनी और क्रूर निर्णय पर दुनिया भर के मुसलमानों में आक्रोश और गम का माहोल है। यह निर्णय विश्व शांति के लिए अच्छा कदम नहीं है। मौलाना ने कहा कि अमेरिका विश्व कानून और अंतर्राष्ट्रीय चिंताओं को नजरअंदाज कर रहा है जिससे विश्व शांति को खतरा हो सकता है, मौलाना ने संयुक्त राष्ट्र से मांग की है कि ट्रम्प के गैर राजनीतिक और अपमानजनक फैसले के खिलाफ आपात बैठक बुलायें और वैश्विक शांति के महत्व के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाये जायें।

मौलाना ने मुस्लिम अमेरिका समर्थक देशों की आलोचना करते हुए कहा कि क्या अब भी मुस्लिम शासक अमेरिका और इसराइल नवाजी से बाज नहीं आएंगे? मुस्लिम देशों को चाहिए कि अमेरिका और इजरायल से अपने संबंध खतम करें और उनके उत्पादों का बहिष्कार करें। मौलाना ने कहा कि दुनिया को समझ लेना चाहिए कि अल कुद्वस से मुसलमानों की आस्थ जुडी है और इस पर मुसलमानों का पहला अधिकार है। हम फिलीस्तीन के मजलूमों के समर्थक हैं और हमारे देश की नीति हमेशा फिलीस्तीन समर्थक रही है इसलिए अगर वैश्विक संस्थायें ट्रम्प के इस फैसले के खिलाफ सख्त कदम नही उठायेगीं तो भारतीय मुसलमान विरोध प्रदर्शन करने पर मजबूर हांेगे। मौलाना ने कहा कि हमारा शांतिपूर्ण देश और पूरी दुनिया जानती है कि फिलीस्तीन की जमीन और बेत उल मुकद्वस पर इस्राएल का गासिबाना कब्जा है, जिसके खिलाफ पूरी दुनिया में रमजान महीने के अंतिम शुक्रवार को कुद्वस दिवस के नाम से विरोध प्रर्दशन किया जाता है।

मौलाना ने कहा कि यूनेस्को सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र ने मस्जिदे अक्सा और दीवारे बुराक पर मुसलमानों का अधिकार स्वीकार किया था इसलिए संयुक्त राष्ट्र की जिम्मेदारी है कि वैश्विक कानून से छेड़छाड़ करने वाले अमन दुश्मन देशों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जायें। मजलिसे उलेमाए हिंद के सभी सदस्यों ने ट्रम्प के इस फैसले को जालिमाना और गैर कानुनी निर्णय बताते हुए कहा कि अगर दुनिया के तमाम मुसलमान रमजान के अंतिम शुक्रवार को इस्लामी एकता का सबूत देते हुए कुद्वस दिवस के नाम से मनाते और इस्राएल के अत्याचार और आतंक के खिलाफ विरोध करते तो कभी अमेरिका को ये साहस नहीं होता कि वह यरूशलेम को इसराइल की राजधानी बनाने का एलान करता। हमेशा हमारी कमियों और इख्तेलाफ का फायदा उठाया गया है इसलिए हम सभी मुसलमानों से अपील करते हैं कि इस्लामी एकता का सबूत देते हुए ट्रम्प के इस मूर्खतापूर्ण कदम की निंदा करें और एक साथ विरोध करें ।

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