मुम्बई: मुंबई से करीब 100 किलोमीटर दूर स्थित धसाई नामक एक गांव देश के पहले नकद रहित गांव बना था | लेकिन अब आज फिर से नकदी का इस्तेमाल कर रहा है। लेन-देन करने के लिए धसाई के ग्रामीणों ने नेट बैंकिंग और ऑनलाइन ऐप्स का इस्तेमाल किया। यहां तक ​​कि नकद रहित लेनदेन के द्वारा वडा पाव भी खरीदे गए थे। हालांकि अब नकद का प्रयोग फिर से शुरू हो गया है| पीओएस मशीन अब अप्रयुक्त रहे हैं।

गांव वाले अपने कार्ड को स्वाइप करने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि उन्हें पता नहीं है कि उनका इस्तेमाल कैसे करना है। परिवार में कई सदस्य हैं, लेकिन उनके हाथों में केवल एक ही कार्ड है| इसलिए अब अन्य सदस्य अपने दैनिक काम के लिए नकदी रख रहे हैं। जो लोग नए खाते खोलते हैं, उनके डेबिट कार्ड तुरंत मिलते हैं, लेकिन जो लोग बाद में आवेदन करते हैं, उन्हें पंद्रह दिन बाद उनकी बारी आती है| अब इस नकदी की तरफ बढ़ रहे ग्रामीणों का कहना है कि अब अक्सर मशीन का सर्वर डाउन रहता है इसलिए कनेक्ट नहीं हो पता इसलिए समस्या पैदा हो रही है|

अब बहुत कम लोग ही बचे हैं जो भुगतान के लिए एटीएम का प्रयोग करता है| धसाई व्यापारियों के संघ के अध्यक्ष स्वप्निल पाटकर ने कहा कि अब लगभग एक तिहाई आबादी में एटीएम कार्ड नहीं हैं| इसलिए हम पूरी तरह कैशलेस नहीं हो सकते| गांव में दो बैंक हैं। एक बैंक प्रबंधक ने कहा कि नए खातेदार को तुरंत एटीएम कार्ड मिलते हैं और हम उन लोगों को कार्ड जारी करते हैं जो एक के लिए आवेदन करते हैं। अनुरोध पर कार्रवाई करने में करीब 15 दिन लगते हैं| इसके अलावा, कार्ड की वैधता या नकद भुगतान पर ग्रामीणों के बीच गलत धारणाएं हैं, पाटकर ने कहा।बैंक के अधिकारियों के अनुसार, लगभग 30 प्रतिशत ग्रामीणों निरक्षर हैं और कार्ड का उपयोग नहीं कर सकते हैं।

धसाई के एक किसान ने कहा कि मेरे पास जन धन खाता है लेकिन मुझे नहीं पता कि एटीएम कार्ड का उपयोग कैसे करना है| मेरे बच्चे और पोते कभी कभी इसका इस्तेमाल करते हैं|