गुना: मध्य प्रदेश से मुक्तिधाम यानी श्मशान घोटाला सामने आया है. अकेले गुना ज़िले में करोड़ों की राशि निकाल ली गई लेकिन श्मशान या तो बने नहीं और अगर बने भी तो आधे-अधूरे. प्रशासन ने जब संबंधित सरपंचों, अधिकारियों के खिलाफ FIR करने की धमकी दी तो रातों-रात शमशान बन गए. गुना में सरपंचों, पंचायत सचिव और अधिकारियों ने 15 करोड़ रुपये के घोटाले के सुराग मिल रहे हैं. गुना ज़िले के 1100 गांव में 700 मुक्तिधाम सिर्फ़ कागज़ों पर बने. कायदे से, हर गांव में श्मशान बनाने के लिए 3.5 से 4 लाख रु. दिए गए थे. इस पूरे मामले के सामने आने पर 3 पंचायत सचिव सस्पेंड हो चुके हैं और 44 सरपंचों को पद से हटाने का नोटिस दे दिया गया है.

इन गांवों में एक समस्या पहले भी थी दबंग, दूसरी जाति के लोगों को अपने श्मशान में शव जलाने की इजाज़त नहीं देते थे. ऐसे में उम्मीद थी कि सरकारी सहयोग से शमशान बनेंगे तो ये दिक्कत दूर होगी लेकिन भ्रष्टाचार ने इस उम्मीद पर भी पानी फेर दिया. सिंहवासा से सेतरीलाल का कहना है कि सरपंच, सेक्रेट्री पैसे खा गये. पत्थर की लड़ियां लगा गये. हम पूछते हैं तो लड़ते हैं. हम यहां मुक्तिधाम में जाते हैं तो सिंहवासा के यादव कहते हैं, यहां मत जलाना. सेतरीलाल नाराज़ हैं, पहले तो गांव के दबंग यादव श्मशान में शव नहीं जलाने देते थे, अब मुक्तिधाम बन गया तो आधा-अधूरा.

गुना के सिंहवासा गांव की आबाधी लगभग डेढ़ हज़ार है. अनुसूचित जानजाति के पारधियों की आबादी अच्छी खासी है. सबकी शिकायत एक जैसी पहले तो श्मशान इस्तेमाल नहीं कर पाते थे, अब बना भी तो आधा अधूरा. रावण सिंह कहते हैं, साल भर हो गया बाउंड्री नहीं खिंची अब तक, शव ले जाने में परेशानी आती थी. रामबीर कहते हैं, यादव लोग यहां जलाने नहीं देते थे, पिपरिया में जलाते थे, हम बैल पारधी हैं.

सोलाई से सरपंच गायत्रीबाई भील कलेक्टर दफ्तर पहुंची और बताया कि शमशान बन गया है. उन्होंने अर्जी दी कि बारिश से दिक्कत और देरी हुई. प्रशासन की सख्ती से 3 दिन में 278 शांतिधाम बन गये. पंचायत सीईओ और गुना एडीएम नियाज खान ने कहा, 425 पंचायत में सबके ऊपर केस चल रहा है, किसी पर धारा 40 पद से हटाने का, किसी का करप्शन में.

ऐसा लगता है पंचायतें जहां भ्रष्टाचार का दायरा ज्यादा होता है उसको करने में रुचि लेती हैं. श्मशान में हार्ड मैटेरियल लगता है, फर्जी मस्टर रोल बनाए जाते हैं. गुना में 779 शांतिधाम बनने हैं, लेकिन ज्यादातर में पैसे निकाल लिये गये काम नहीं हुए.