नई दिल्ली: 8 नवंबर को विपक्ष ने सरकार को घेरने की तय्यारी बना ली है| नोट्बंदी को सबसे बड़ा घोटाला मानते हुए विपक्ष ने तय किया है कि वह 8 नवंबर को ‘काला दिवस’ के रूप में मनाया जायेगा| साथ ही देश भर में शांति के साथ विरोध प्रदर्शन किया जायेगा| इस दिवस में लगभग 18 दल के लोग शामिल होंगे| विपक्ष का मानना है कि नोट्बंदी के कारण हमारी अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ है तथा नौकरियों का भी बहुत नुकसान हुआ है|

राज्यसभा में विपक्ष नेता गुलाम नबी आज़ाद ने आज मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल नवंबर में नोट्बंदी की घोषणा की थी| उन्होंने कहा कि पहले ही विपक्ष ने इस फैसले के खिलाफ विरोध किया था| नोट्बंदी के फैसले से अर्थव्यवस्था की बुरी हालत होने, बेरोज़गारी बढ़ने और जीडीपी कम होने का ख़तरा था| और आख़िर में वही हुआ जिसका डर था| गुलाम नबी आजाद के साथ संवाददाता सम्मेलन में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन और जदयू के शरद यादव भी मौजूद थे|

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि विभिन्न 18 दलों के नेताओं से बातचीत के बाद समिति की कल पहली बैठक हुई| सभी से विचार विमर्श के बाद इस बैठक में यह तय किया गया कि आठ नवंबर को सभी विपक्षी दल ‘‘काला दिवस’’ मनायें। उन्होंने सरकार के इस फैसले को ‘‘सदी का सबसे बड़ा घोटाला’’ करार देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद पूरा देश सड़कों पर आ गया और लोगों को लाइनों में घंटों खड़े रहने के लिए मजबूर होना पड़ा.

आजाद ने कहा कि नोटबंदी के कारण लोगों को बहुत नुकसान उठाना पड़ा जिसमें बहुत लोगों की जान भी चली गयी उन्होंने कहा सरकार ने नोट्बंदी का फैसला विदेशों में जामा काला धन, जाली मुद्रा और आतंकवादियों के वित्त पोषण पर रोक जैसे जिन उद्देश्यों के लिए फैसला किया गया था| लेकिन उनमें से कोई भी मकसद पूरा नहीं हुआ क्योंकि 99 प्रतिशत मुद्रा तो वापस आ गयी| तो फिर इसका फायदा क्या हुआ|

आजाद ने खुले तौर पर कहा कि आठ नवंबर को कांग्रेस की अगुवाई में काला दिवस मनाया जायेगा| जिसमें 18 विपक्षी दल अपने अपने क्षेत्रों में अपने कार्यक्रमों और योजना के अनुसार नोटबंदी के फैसले का विरोध करेंगे|