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ग्रामीण महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए समग्र दृष्टिकोण

परिवार हो, शिक्षा या देश हर दृष्टिकोण से विकास पुरुषों और महिलाओं पर निर्भर करता है। आज लोग एवं सरकार महसूस कर रहे हैं कि विकास के लिए महिलाओं का कल्याण बेहद ज़रूरी है।

सरकार ने महिलाओं के कल्याण एवं विकास के लिए कई अभियान शुरू किए हैं जैसे -बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, महिलाओं के लिए रोजगार एवं प्रशिक्षण (Support to Training and Employment Programme for Women -STEP)आदि जिसके बाद शैक्षणिक संस्थान भी इस तरह की गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं ताकि महिलाओं के विकास को प्रोत्साहित किया जा सके, वे समाज के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ सकें।

सरकार के इसी दृष्टिकोण के मद्देनज़र युनिवर्सिटी आॅफ पेट्रोलियम एण्ड एनर्जी स्टडीज़ (यूपीईएस), देहरादून ने आस-पास के क्षेत्रों की स्थानीय एवं ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक महिला टेकनोलाॅजी पार्क Women Technology Park) की शुरूआत की है। इसके लिए युनिवर्सिटी को भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी विभाग के सीड डिविज़न(Science for Equity Empowerment and Development division-SEED) से अनुदान भी मिला है। पार्क का उद्घाटन मई 2015 में किया गया और इसके ज़रिए यूपीईएस महिलाओं को तकनीकी एवं कारोबार सम्बन्धी प्रशिक्षण दे रही है।

अब तक इस परियोजना के तहत 130 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है जो अब आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन चुकी हैं।

परियोजना में आर्ट एण्ड क्राफ्ट डिज़ाइन सहित तीन मुख्य अवयव हैं, जिन्हें सूचना एवं संचार तकनीक का सहयोग प्राप्त है। इसके लिए यूपीईएस ने एक कम्प्यूटर प्रयोगशाला भी स्थापित की है जो महिलाओं को आर्ट एण्ड क्राफ्ट गतिविधियों में मदद करती है ताकि वे अपने क्रिएटिव आइडिया अपने काम में इस्तेमाल कर सकें। यूपीईएस उन्हें औषधीय पौधों की पहचान और खेती में भी मदद करती है। इसके लिए 10 गांव चुने गए हैं। इन गांवों के किसानों को कई औषधीय पौधों जैसे तुलसी, एलो वेरा और लैमन ग्रास आदि उगाने में मदद की जाती है। परियोजना के तहत विभिन्न संगठनों के विशेषज्ञ किसानों को फसलें उगाने में मदद करते हैं। इसके अलावा, किसानों को बीज, ओर्गेनिक उर्वरक, वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन, खेती के उपकरण आदि भी मुहैया कराए जाते हैं, उन्हें उचित बाज़ारों के साथ जोड़ा जाता है, ताकि वे बेहतर कारोबार कर सकें। कैमोमाइल की खेती पहले से की जा चुकी है जो किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हुई है।

इसके अलावा यूपीईएस ने अपने 12 किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों से 51 लड़कियों को चुना है, जिन्हें पढ़ाई-लिखाई में मदद की जा रही है, ताकि इनका समग्र विकास हो सके।

युनिवर्सिटी केवल इनकी पढ़ाई-लिखाई पर ही ध्यान नहीं देती, बल्कि उन्हें भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करती है, ताकि उनमें एक आत्म-विश्वास पैदा हो सके। इनके पर्सनेलिटी डेवलपमेन्ट के लिए कई पाठ्येत्तर गतिविधियां भी आयोजित की जाती हैं जैसे डांस, एरोबिक्स, योगा, आर्ट एण्ड क्राफ्ट, पेंटिंग, बुनाई और खेल आदि।

इन गांवों में लड़कियों के लिए आवागमन सबसे बड़ी समस्या है। इसी को ध्यान में रखते हुए चुनी गई लड़कियों को साइकलें दी गई हैं। इसके अलावा युनिवर्सिटी इन बेटियों की अकादमिक कामयाबी का जश्न मनाने के लिए भव्य कार्यक्रमों का आयोजन भी करती रहती है।

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