लखनऊ: समाजवादी चिन्तक एवं चिन्तन सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीपक मिश्र की अध्यक्षता में समाजवादी चिन्तन व बौद्धिक सभा के तत्वावधान में हुई बैठक में समाजवादी चिन्तक व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राममनोहर लोहिया की निर्वाण अर्द्धसदी पूरे भारत में वर्ष भर सतत् रूप से मनाने का निर्णय लिया गया है। राममनोहर लोहिया के व्यक्तित्व, जीवन-दर्शन व वैचारिक अवदान के साथ-साथ समाजवादी अवधारणाओं से परिचित कराने के लिए “समाजवाद जानो“ अभियान के तहत 50 संगोष्ठियों एवं परिचर्चाओं की रूपरेखा तैयार हो चुकी है। लोहिया को सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत-रत्न“ से विभूषित करने की मांग के समर्थन में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा। इन व्यापक अभियानों की कड़ी में 12 अक्टूबर को डा० लोहिया की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में लोहिया जी के 50 भाषणों की सीडी व www.lohiaji.in, www.samajwad.in और www.thesocialism.in वेबसाइट का विमोचन होगा। विमोचन प्रख्यात समाजवादी नेता शिवपाल सिंह यादव करेंगे।

श्री मिश्र ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा लोहिया को भारत-रत्न न देना उन मूल्यों एवं सोच की उपेक्षा है जिनको लोहिया ने सशक्त किया।

मोदी जी संसद व संसद के बाहर कई अवसरों पर लोहिया को अपना आदर्श व देश का प्रेरणा-पुरूष बता चुके हैं किन्तु “भारत-रत्न“ देने पर मौन साध जाते हैं। लास्की, आइंस्टीन व याशिका होशिनो जैसी महान विभूतियों ने भी लोहिया के वैचारिक योगदान की भूरि-भूरि प्रशंसा की। लोहिया देश के प्रमुख निर्माताओं के अग्रगण्य हैं। वे भारतीय राजनीति की महान ऋषि परम्परा के अनमोल मोती व बिना कुटी के योगी थे जिन्होंने लोकतंत्र, विकेन्द्रीकरण, गाँव व गरीब की आवाज बुलन्द की। आज लोहिया के बहाने समाजवाद पर सघन बहस चलाने की आवश्यकता है। इण्टरनेशनल सोशलिस्ट काउन्सिल में भारत के प्रतिनिधि दीपक ने बतलाया कि महात्मा गाँधी के बाद लोहिया ही भारतीय वैश्विक चिन्तक हैं जिन्होंने दुनिया की राजनीतिक विचारधारा को प्रभावित किया और भारत से बाहर सत्याग्रह कर गिरफ्तारी देकर माननीय विभेद को चुनौती दी। ऐसे में जब लोकतंत्र में “लोक“ की बजाय “तंत्र“ तथा “राजनीति“ में “नीति“ के सापेक्ष “राज“ तत्व ज्यादा मजबूत हो रहा हो, लोहिया का पहले से अधिक प्रासंगिक होना समीचीन है।