इलाहबाद: यूपी की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में नमाज पढ़ने और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में कर्मकांड करने पर रोक लगाने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।जिस पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसपर रोक लगाने से साफ़ इंकार कर दिया है।

कोर्ट का कहना है कि देश के संविधान के तहत किसी भी तरह के धार्मिक कार्य पर रोक नहीं लगाई जा सकती। इसलिए कोर्ट इस याचिका को खारिज करता है।

चीफ जस्टिस डीबी भोंसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की बेंच ने शाश्वत आनंद और 5 अन्य छात्रों द्वारा दायर की गई इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अपना ये फैसला सुनाया है।
इस याचिका में कहा गया है कि सविधान के आर्टिकल 28 के तहत सरकारी यूनिवर्सिटीज में धार्मिक शिक्षा देने का कोई अधिकार नहीं है।

लेकिन कोर्ट का कहना है कि बच्चों को धार्मिक शिक्षा हासिल करने का मौलिक अधिकार है और देश का संविधान धर्म के बारे में जानकारी लेने पर रोक नहीं लगाता।
देश का कोई भी नागरिक अपने और दूसरे धर्मों के बारे में जानकारी लेने का अधिकार रखता है। जिसके चलते याचिकाकर्ता कोर्ट के समक्ष ये साबित नहीं पाए कि दोनों यूनिवर्सिटी में दी जाने वाली धार्मिक शिक्षा से संविधान के अनुच्छेद 28 का उल्लंघन हो रहा हो।