नई दिल्ली: पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी की मार व्यापारियों पर ऐसी पड़ी है कि देश के सबसे बड़े थोक बाज़ारों में से एक दिल्ली के सदर बाज़ार के व्यापारियों ने इस साल दशहरा नहीं मनाने का फैसला लिया है. व्यापारियों का कहना है कि इस साल त्योहार मनाने की इनके पास कोई वजह नहीं है, क्योंकि पिछले एक साल से धंधा पूरी तरह मंदा है. देश भर में दशहरे की धूम है. जगह-जगह रावण दहन की तैयारी है, लेकिन बुराई पर अच्छाई की जीत के इस जश्न में सदर बाजार के व्यापारी शामिल नहीं हो रहे हैं. व्यापारियों का कहना है कि उन्हें नोटबंदी और जीएसटी ने हरा दिया. सदर बाजार ट्रेडर्स संघ के उपाध्यक्ष एचएस छाबड़ा ने कहा, हर साल सदर बाजार चौक पर दशहरा मनाते थे पर इस साल नहीं. पूरा बाजार ठंडा पड़ा हुआ है, व्यापारी रोज़ उदास होकर घर जा रहे हैं, कोई खुशी ही नहीं है.

लेदर पर्स के थोक व्यापारी दिनेश हांडा से हमने जब दशहरा न मनाने का कारण जानने की कोशिश की तो उन्होंने बताया कि सदर बाजार में काम रीटेल से नहीं चलता. देश भर का व्यापारी थोक में माल ले जाता है पर इस साल आ ही नहीं रहा, जिसको फ़ोन करो कहता है, जीएसटी की मार है. पैसा ही नहीं है तो सिर्फ़ वो ही नहीं देश भर के व्यापारी दशहरा नहीं मना पा रहे हैं. त्योहारों के मौसम में ग्राहकों से पटा रहने वाले सदर बाजार में वाकई सन्नाटा पसरा है. व्यापारियों का कहना है कि अगर यही हाल रहा तो दिवाली भी नहीं मना पाएंगे.

इन व्यापारियों का कहना है कि सरकार का वादा था कि जीएसटी आने के बाद टैक्स देना सरल हो जाएगा पर हुआ उसका उल्टा. पूरे साल में नवरात्रों से लेकर दिवाली तक इनका सबसे ज्यादा व्यापार होता था लेकिन महीने में तीन बार जीएसटी भरने में ही समय जा रहा है.