एलआईसी एचएफएल के एमडी और सीईओ विनय साह, सरकार की ओर से उठाए गए हालिया नीतिगत कदमों और किफायती आवास पर जोर दिए जाने को लेकर बहुत उत्साहित हैं। उनका मानना है कि अंततः अब किफायती आवास को एक वांछित मूलभूत अवसंरचना का दर्जा हासिल हुआ है। 2019 तक ग्रामीण भारत में एक करोड़ घरों का निर्माण किया जाना है और इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में अब संस्थागत वित्तपोषण के सस्ते स्रोतों के साथ-साथ बाहरी वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) की भी आवश्यकता रहेगी। उन्होंने कहा कि प्रधान मंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (सीएलएसएस) इस क्षेत्र के एक और सकारात्मक पहलू के रूप में देखी जा सकती है। ईडब्ल्यूएस/एलआईजी वर्ग के लिए किफायती आवास खंड के लिए चार मुख्य महानगरों और गैर-महानगरीय क्षेत्रों में बिक्री योग्य क्षेत्र (सेलेबल एरिया) की बजाय फर्शी क्षेत्रफल (कारपेट एरिया) के आधार पर 30 वर्ग मीटर और 60 वर्ग मीटर के लिए मानदंडों में संशोधन ने भारत भर में किफायती आवास बाजार के आकार को प्रभावी ढंग से बढ़ा दिया है। 2017 के बजट में ग्रामीण क्षेत्रों में पीएमएवाई का आवंटन 15,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 23,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

उन्होंने पीएमएवाई सीएलएसएस के दायरे में एमआईजी श्रेणी को शामिल करने का स्वागत किया। 90/110 वर्ग मीटर का एक फर्शी क्षेत्रफल पूरे भारत में एक आरामदायक आवास के रूप में माना जाता है। हमें उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के राज्यों में लखनऊ, आगरा, कानपुर, मथुरा, वाराणसी, देहरादून, मेरठ, हरिद्वार, मुरादाबाद, हल्द्वानी, बरेली और झांसी जैसे शहरों में इसमें काफी बढ़त आएगी क्योंकि इस मानदंड के अनुसार ज्यादातर यूनिटों का निर्माण यहां किया जा सकता है। हालांकि, मांग अभी दबी हुई है लेकिन यहां काफी संभावनाओं को तलाशा जा सकता है। इस वर्ग के लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए डेवलपर्स और अधिक प्रोजेक्ट्स के साथ मैदान में आने को प्रेरित होंगे। इससे आवासीय अचल संपत्ति को एक अच्छा बढ़ावा मिलेगा जो पिछले कुछ समय से सुस्ती का सामना कर रही है। मुनाफे को 100 फीसदी टैक्स-फ्री करना और परियोजना को पूरा करने की 3 वर्षीय समय सीमा को बढ़ा कर 5 साल करने जैसे कदमों से डेवलपर्स का नई परियोजनाओं को लॉन्च करने का रुझान बढ़ेगा और देश में किफायती आवास स्टॉक की सप्लाई को पूरा करने में मदद मिलेगी। उनका कहना है कि कुल मिलाकर हम वर्ष 2022 तक सभी के लिए आवास के एक बड़े लक्ष्य की ओर जाते एक आदर्श मार्ग पर हैं।

श्री साह ने रेखांकित किया कि भारत में मोरगेज पेनिट्रेशन में व्यापक संभावनाएं हैं। भारत जैसी एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में, हाउसिंग फाइनेंस में काफी संभावनाएं हैं। इस तथ्य का समर्थन करती हुई एक अनुकूल जनसांख्यिकीय हैं जिसमें 30 वर्ष से कम उम्र की आबादी का एक बड़ा अनुपात है वहीं बढ़ते शहरीकरण के साथ सामाजिक परिदृश्य भी बदल रहा है और छोटे परिवार की संरचना के प्रसार पर जोर है। हम भारतीय आज भी यही मानते हैं कि अचल सम्पत्ति में निवेश सबसे अच्छा होता है। यह क्षेत्र वर्षों से बढ़ रहा है वहीं अचल संपत्ति के अधिग्रहण के लिए उधार लिए गए धन पर व्यक्तिगत आयकर के रूप में राजकोषीय प्रोत्साहनों ने घर के स्वामित्व की आकांक्षाओं को बल दिया है।

साह ने बताया कि कई सालों के बाद ऋण की दरों में कमी आई है। देश के कई हिस्सों में ईएमआई, मासिक किराए से भी कम पड़ रही है। पहली बार घर खरीद रहे लोगों के लिए पीएमएआई सीएलएसएस के लाभ प्रोत्सााहित करेंगे। ऐसेमें घर के स्वामित्व के लिए प्राथमिकता बढ़ेगी। उनका कहना है कि एलआईसी एचएफएल चालू वर्ष के दौरान ऋण प्रतिबंधों में अच्छी वृद्धि देख रहा है। उनका कहना है कि एक संगठन को बदलती जरूरतों के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए। एलआईसी एचएफएल उत्पादों को क्षेत्रीय गतिशीलता के अनुरूप बनाया गया है। ऋण लेने वाली महिलाओं के लिए ‘गृह सिद्धी’ ब्याज दरों में विशेष रियायतें देने वाला नवीनतम गृह ऋण उत्पाद है। इसमें 30 लाख रुपये तक के ऋण पर ब्याज की दर 8.35 प्रतिशत से शुरू होती है। ‘अपना घर’ एक और ऋण योजना है जो पीएमएआई सीएलएसएस की पूरक है। सशस्त्र बलों और तटरक्षक दलों के सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मियों के लिए कंपनी की विशेष ब्याज दर है।

श्री साह आश्वस्त है कि इस वर्ष के दौरान इस योजना से बड़ी संख्या में लोग जुड़ेंगे। अभी तक इस वित्त वर्ष में एलआईसी एचएफएल ने अपना घर योजना के तहत लगभग 5000 मामलों को मंजूरी दे दी है वहीं कंपनी का ध्यान किफायती आवास श्रेणी में बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने पर भी है। साह के अनुसार उनकी मार्केटिंग टीम उन संभावित ग्राहकों और परियोजनाओं पर नजर रखे हुए हैं जो किफायती आवास के दायरे में आ रही हैं।
भविष्य की विकास योजनाओं पर बोलते हुए श्री साह ने कहा, एलआईसी एचएफएल लंबे समय से स्थापित खिलाड़ी है, जिसका लोन बुक साइज 1.44 लाख करोड़ रुपये का है। हमारा जोर पूरी समझदारी के साथ आगे बढने पर रहेगा। पूरे देश में 5 एरिया आफिस के अलावा चालू वर्ष के दौरान भोपाल और पटना में दो रीजनल ऑफिस खोले गए है। उत्तर मध्य क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता हुआ लखनऊ का मुख्यालय उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों को कवर करता है। उत्तर मध्य क्षेत्र में 1780 करोड़ रुपए संवितरित किए गए हैं और यहां हमारे 19 विपणन कार्यालय हैं। हमने इस क्षेत्र में करीब 800 मार्केटिंग मध्यस्थों को प्रशिक्षित किया है ताकि वे ग्राहकों तक पहुंच कर उन्हें होम लोन प्रक्रिया के भीतर ला सकें। इस नए सेटअप के साथ, श्री साह को सेंट्रल रीजन में व्यवसाय को विकसित करने का भरोसा है। कुल मिलाकर, उन्हें उम्मीद है कि कंपनी वर्ष के दौरान अपने संवितरण में लगभग 15 से 16 प्रतिशत तक वृद्धि करेगी।

एलआईसी एचएफएल लगभग 10,000 मार्केटिंग मध्यस्थों के एक मजबूत नेटवर्क का दावा पहले से ही करती हैं वहीं श्री साह की महत्वाकांक्षी योजना इस संख्या को 50 फीसदी तक बढ़ाने की हैं। वह अपने क्षेत्रीय कार्यालयों का लाभ उठाकर कंपनी की वितरण शाखा एलआईसी एचएफएल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के व्यापारिक योगदान को बढ़ाने के लिए भी उत्सुक है। साह ने कहा कि कंपनी अपने 27 साल के कामकाज में लोगों, प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकी के माध्यम से ग्राहकों के लिए अलग-अलग सेवाओं की पेशकश कर रही है और उन्हें पूरा भरोसा है कि कॉर्पाेरेट गवर्नेंस के उच्च मानकों की नींव पर खड़ी एलआईसी एचएफएल, हाउस फाइनेंसिंग में एक बड़े खिलाड़ी के रूप में अपना कद और बढ़ा कर रहेगी। साह का इरादा कुछ वर्ष की अवधि में आवास ऋण पोर्टफोलियो को 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक पर ले जाना है।