अद्भुत रहा साहित्यिक मंच पर शब्द व लक्ष्यभेदी बाण का प्रदर्शन

लखनऊ, 13 सितम्बर। उपन्यासत्रयी अमृतलाल नागर, यशपाल, भगवती बाबू की इस नगरी में श्रीलाल शुक्ल, मुद्राराक्षस, श्रीनारायण चतुर्वेदी, नैयर मसूद, केपी सक्सेना, कृष्ण बिहारी नूर के संग ही समकालीन नरेश सक्सेना, शिवमूर्ति, मुनव्वर राना, अखिलेश, राकेश, जैसे अनेक साहित्यकारों ने साहित्य में अपनी पहचान बनाई है तो लखनऊ का नाम भी रोशन किया है।

यहां मोतीमहल वाटिका लाॅन राणा प्रताप मार्ग में चल रहे पन्द्रहवें राष्ट्रीय पुस्तक मेले में इन रचनाकारों की पुस्तकों के साथ ही शहर के हर विधा के अन्य रचनाकारों की पुस्तकें हैं। अपना आधा सफर तय कर चुके पुस्तक मेले में हर तरह की पुस्तकें न्यूनतम 10 प्रतिशत छूट पर मिल रही है। मेला मंच पर आज का आकर्षण पंडित जुगल किशोर का धनुर्विद्या प्रदर्शन रहा।

निःशुल्क प्रवेश वाले इस पुस्तक मेले में साहित्य के नामचीन भारतीय प्रकाशक राजकमल, प्रभात, साहित्य भण्डार, साहित्य अकादमी वगैरह तो हैं ही इसके अलावा खासकर नवाबी शहर पर केन्द्रित लखनऊ पुस्तक माला की 40 किताबें विभिन्न विषयों पर स्टाल संख्या तीस पर उपलब्ध हैं। ये सेट मात्र सात सौ रुपये का है। इसी स्टाल पर साहित्यकार मुद्राराक्षस पर उनके कनिष्ठ पुत्र रोमेल मुद्राराक्षस द्वारा लिखी अबतक प्रकाश मं न आई घटनाओं का खुलासा करती ‘मुद्राराक्षस साहित्य वीथिका’ है। इसके साथ ही एडवोकेट पद्मकीर्ति की ‘किस्से कचहरी के’ भी यहां है। स्थानीय रचनाकारों की किताबें 14 नम्बर के स्टाल पर भी हैं। यहां कवि दम्पति आलोक शुक्ल-सुधा शुक्ला के संग ही शोभा श्रीवास्तव, डा.अल्पना अनुकृति, सुमन कुमार, डा.मनसा पाण्डेय, सुधा शुक्ला, विजयलक्ष्मी शर्मा, उदयभान पाण्डेय, शिरीन अशरफ, सुधा आदेश, साहू बीपी जायसवाल, परमहंस मिश्र, अनिमेष सरस, रामनगीना मौर्य, वीरपाल सिंह, डा.भावना घई आदि रचनाकारों की विविध पुस्तकें हैं।

गतिविधियों में आज पंडित जुगल किशोर ने धनुर्विद्या का प्रदर्शन करते हुए माला पहनाने, एक, दो और एक साथ सात लक्ष्य भेदने व शब्द भेदी बाण चलाने का अद्भुत प्रदर्शन किया। आंखों पर पट्टी बांधकर भी उन्होंने लक्ष्य भेदकर दर्शकों को हतप्रभ कर दिया। बाल व युवा मंच पर ज्योति किरन के संयोजन में रतनजीत, सरिता, तनिशी, रोहन प्रियांशु, अभिषेक, मोनू, जितेन्द्र, नायला, सेानम, वरुण, सीता नमन आदि बच्चों का सामान्य ज्ञान क्विज में परखा गया। मेहंदी में रूबीना, सतिा, भावना व आबिदा आदि ने भग लिया तो गायन, नृत्य प्रतिभा का प्रदर्शन रोज की तरह नवयुवा प्रतिभाओं ने बराबर किया। मुख्य मंच पर शाम को लक्ष्मी जोशी के संग अरुणा उपाध्याय, शारदा पाण्डेय व यशोदा ने अवधी लोक गीतों की झड़ी की शुरुआत देवीगीत नीमा की डारी पड़ा रे हिण्डोलना से की और आगे सोहर, विवाह गीत व नकटा की सुंदर प्रस्तुति दीा। ढोलक पर शहजाद निजामी ने उम्दा साथ निभाया। इससे पहले डा.रंगनाथ मिश्र सत्य की अध्यक्षता में आयोजित नवसृजन संस्था की काव्य गोष्ठी में देवेश द्विवेदी देवेश, सुषमा गुप्ता, अनिल किशोर निडर, प्रवीण त्रिपाठी, अशोक विश्वकर्मा, कुमार अतुल, मनु बाजपेयी, डा.योगेश आदि ने रचनाएं पढ़ीं। यहां डा.गौरव खन्ना को समाज रत्न सम्मान से नवाजा गया। राही मासूम रजा को समर्पित काव्य पाठ में गजाला अनवर, अकील नाहिद, भगवान स्वरूप कटियार, विपिन त्रिपाठी, नलिनी खन्ना, रामकिशोर वा सादिया सिद्दीकी ने काव्य रसधार बहाई। अंत में कुसुम वर्मा की वंदना से प्रारम्भ रेवान्त पत्रिका के काव्य समारोह में डा.अनीता श्रीवास्तव, रोली शंकर, वर्षा श्रीवास्तव, भावना, आभा चन्द्रा, रूपा पाण्डेय, संध्या सिंह, प्रज्ञा पाण्डेय, कुसुम राय, मनोज शुक्ला आदि रचना पाठ किया।