लखनऊ। गुजरात, बिहार, बंगाल के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के भी एक तिहाई जिलें बाढ़ से प्रभावित हैं। विशेषकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में बड़ी संख्या में नागरिक बाढ़ की चपेट में हैं। मानवता व समाज सेवा की भावना से जमियत उलमा के पदाधिकारी और सदस्य बाढ़ पीड़ितों की सहायत में तन, मन,धन से लगे हुए हैं। जमियत उलमा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना कारी मोहम्मद उस्मान मन्सूरपूरी और महासचिव मौलाना सैय्यद महमूद असद मदनी के निर्देश पर जमियत उलमा गोरखपुर के जिम्मेदार गत दो सप्ताह से अधिक समय से लगातार बाढ़ पीड़ितों को खाद्य सामग्री पहुंचा रहे है। जमियत उलमा उ0प्र0 के कोषाध्यक्ष सै0 मोहम्मद हसीन हाशमी ने स्थानीय पदाधिकारियों के हवाले से बताया कि बाढ़ की सूचना पर जब जमियत के पदाधिकारी मौके पर पहुंचे तो बड़ी संख्या में लोग छतों, बंधों और अन्य ऊंचे स्थानों पर पनाह लेने को मजबूर थे। उनकी जान तो बच गयी थी लेकिन उनके पास खाने पीने के लिए कुछ नहीं था। मासूम बच्चे भूख-प्यास से परेशान थे। जमियत उलमा के पदाकिारी व सदस्य तुरन्त बिना किसी भेदभाव के बाढ़ पीड़ितों की मदद में जुट गए। जमियत उलमा के लोग खाद्य सामग्री के पैकट लेकर बाढ़ पीड़ितों को राहत में लग गए। जमियत की कई टीमों ने विशेषकर हमींपुर, नूरपुर, राम पुर, बालापार, मोनहरसा, शेखपुरा, मानीराम, सिंकोर, गाय घाट, परसोना, बयनामा टोला, मोहम्मदपुर, जमूरा, घंघन कोठा, चोरी-चोरा, मोती राम अड्डा, मंजछरिया, नया गाॅंव, बेयूनतहा आदि क्षेत्रों में नाव से पहुंचकर 12 हजार खाने के पैकट और 50 हजार पानी के पाउच बांटे। जमियत उलमा के जिला अध्यक्ष हाफिज असद उल्लाह, महासचिव मुफ्ति मतिउर रहमान, कोषाध्यक्ष अजमत उल्लाह, मौलाना हिफ्जुर्रहमान और मौलाना निज़ामुद्दीन आदि की निगरानी में गयी टीमों ने यह सेवा अंजाम दी।

पानी कम होने पर वहां पर संक्रमण रोग फैलने लगा। उसके मद्दे नजर जमियत उलमा ने उन क्षेत्रों में मेडिकल शिविरो का आयोजन किया। गत एक सप्ताह से अधिक समय से विशेषज्ञ डाक्टरों की निगरानी में मुफ्त मेडिकल कैम्प चल रहे हैं। जिन में डा0 रशीद अहमद एमडी, डा0 मुश्ताक अली एमडी0, डा0 नजीम उल्लाह एमडी0, डा0 अदील अहमद सिद्दीकी एमबीबीएस, डा0 मुनीर अहमद एमबीबीएस, डा0 हिदायत उल्लाह ईएनटी विशेषज्ञ और डा0 मोहम्मद नसीम बीयूएमएस आदि की मेहनत से 2000 से अधिक लोगों का मुफ्त इलाज किया गया और उन्हें दवाएं वितरित की गयी। जमियत उलमा के पदाधिकारियों ने बताया कि अभी मेडिकल कैम्प महीनों जारी रखना पड़ेगा। दूसरी ओर बिहार के सीमांचल के जिलों में भी जमियत उलमा की विभिन्न टीमें बाढ़ पीड़ितों की सेवा में लगी हुयी हैं। बकरीद में जमियत के तहत सामूहिक कुर्बानी का भी बंदोबस्त किया गया।