श्रेणियाँ: राजनीति

जिंदा लोगों की हिफाजत के लिए कोई किताब है तो वह संविधान है: शरद यादव

नई दिल्ली: संसद में भारत छोड़ो आंदोलन के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर शरद यादव ने कहा कि मुझे गर्व है कि मेरे दादा-परदादा आजादी की लड़ाई में शामिल थे. आजादी की लड़ाई के लिए झांसी की रानी, मंगल पाड़ें और भगत सिंह समेत कइयों ने कुर्बानियां दीं. कितने ही लोग कुर्बान हो गए. ये लड़ाई साझा है. अगर देश साझा विरासत को याद नहीं रखगा तो कई तरह के भम्र में पड़ा रहेगा. इतिहास की गवाही बुनियाद होती है.

जो मुल्क इतिहास के साथ छेड़खानी करता है, वह पूरी कौम के साथ छेड़खानी होती है. विचारों में भिन्नता होती है. नहीं होगी तो फिर लोकतंत्र किस काम का. महात्मा गांधी ने कहा था कि लोकतंत्र गोली से नहीं बोली से चलेगा. शरद यादव ने कहा कि जिंदा लोगों की हिफाजत के लिए कोई किताब है तो वह संविधान है.

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