नई दिल्ली: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी साल 2019 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी के काट के रूप में कांग्रेस का चेहरा नहीं होंगे। इस बात का अंदाजा पार्टी में पुराने नेताओं की बढ़ती सक्रियता और ताकत से लगाया जा सकता है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी इस बात को समझ चुकी हैं कि अगर 2019 में मोदी के विजय रथ को रोकना है तो फिलहाल बेटे राहुल के भविष्य की कुर्बानी देनी होगी। शायद यही वजह है कि सोनिया गांधी ने फिर से पार्टी की कमान अपने हाथों में ले ली है। न्यूज 18 के मुताबिक, आगामी विधान सभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी में रणनीतिक भूमिका निभाने वाले युवाओं की जगह फिर से पुराने चेहरे होंगे। माना जा रहा है कि 2019 के आम चुनाव के लिए भी कांग्रेस ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक राहुल के अलावा कोई भी 2019 का चेहरा हो सकता है।

कांग्रेस ने हाल के दिनों में बड़े पैमाने पर रणनीतिक बदलाव के संकेत दिए हैं। इस बदलाव के तहत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के रोल में इजाफा किया गया है। ऐसे नेताओं में पी चिदंबरम, आनंद शर्मा, गुलाम नबी आजाद जैसे लोग शामिल हैं। अभी हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर राहुल गांधी की गैर मौजूदगी में ही पार्टी ने विपक्षी दलों के साथ मिलकर राष्ट्रपति उम्मीदवार का चयन किया था। इसमें सोनिया गांधी के अलावा गुलाम नबी आजाद और अन्य वरिष्ठ नेताओं की भूमिका रही थी। इसके अलावा उपराष्ट्रपति उम्मीदवार पर भी सोनिया के नेतृत्व में तमाम विपक्ष लामबंद दिखा।