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सुलतानपुर: ताबड़तोड़ वारदातों से थर्राया कुड़वार इलाका

बुलंद है अपराधियो के हौसले, घटनाओं को मिनीमाईज करती पुलिस

कुडवार-सुलतानपुर। दो माह के भीतर थाना अन्तर्गत अपराध इस कदर बढा है कि
एक जानलेवा हमला सहित चार हत्याएं हो चुकी हैं। हर मामले में पुलिस की
सुस्त कार्यवाही के चलते अपराधियों के हौसले बुलन्द हैं।

17 मार्च की रात हरखीपुर दौलतपुर के कालीमाता मंदिर के
पुजारी मालिकदास की कुटी में सोते वक्त अज्ञात लोगो ने धारदार हथियार से
मारकर मरणासन्न कर दिया। सुबह जब लोगों ने खून से लथपथ बाबा को देखा तो
इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने बन्धुआकला के महन्त भरतदास की तहरीर पर
अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर मामला ठंडे बस्ता में डाल दिया। 26 मार्च
को साहपुर सरकंडेडीह निवासी मो. कयूम का नौ वर्षीय पुत्र सैफ रंकेडीह
निमन्त्रण में गया था। शाम लगभग चार बजे रंकेडीह के बगल खेत में सैफ का
शव पड़ा मिला था। उसकी गला दबाकर हत्या की गयी थी। अज्ञात के खिलाफ पुलिस
मुकदमा दर्ज कर मामला ठण्डा बस्ता में डाल दिया। 10 अप्रैल को
नौगवांरायतासी में डबल मर्डर से क्षेत्र में दहशत फैल गयी। दो प्रेमी
युगल की एक साथ हत्या आनर किलिंग के मामले से इनकार नही किया जा सकता।
पुलिस ने दोनों तरफ से मुकदमा दर्ज तो कर लिया, लेकिन घटना के एक माह
बीत जाने के बाद भी अभी तक कार्यवाही के नाम पर कुछ नहीं हुआ है। जबकि
मृतक श्याम बहादुर यादव के परिजन बुलाकर दोनों की एक साथ हत्या करने का
आरोप लगाते रहे है। 19 अप्रैल को जो घटना हुई आजतक देखने को नहीं मिली
थी। 19 की शाम सोहगौली निवासी विरेन्द्र पाठक का बेटा संदीप पाठक(21)की
हत्या कर बगल के भट्ठे में डाल दिया गया। 22 तारीख को पिता जब थाने
पहुंचकर बेटे की हत्या की आशंका की तहरीर दी तो पुलिस ने तहरीर बुलवाकर
गुमशुदा का मुकदमा दर्ज कर वादी को टरकाकर वापस कर दिया। इधर ईंट भट्ठे
में लाश डाले जाने की चर्चा तेज हो गयी। पिता ने थक हार कर
उच्चाधिकारियों से न्याय की मांग की। तब पुलिस हरकत में आयी, स्वंय
तत्कालीन सीओ सिटी मुकेश मिश्रा डाग स्क्वांयड के साथ भट्ठे पर पहुंचकर
पूछ-ताछ की। जिससे भट्ठे में लाश डाले जाने की पुष्टि हुई। पुलिस ने
गुमसुदगी को हत्या व सबूत मिटाने की धारा मे तरमीम करते हुए डडवा निवासी
आशुतोष व गोली मिश्र को नामजद किया। मृतक के पिता की अगर माना जाए तो
भट्ठे पर घटना वाली रात मौजूद भट्ठा मालिक का भाई बाबुल से पुलिस ने केवल
पूछताछ कर छोड दिया। जो पुलिस पर सवाल खड़ा कर रहा हैं। बहरहाल पुलिस की
सक्रियता का आलम यह रहा कि नामजद आशुतोष एक दूसरे मामले में न्यायालय में
आत्मसमर्पण कर दिया और कुडवार पुलिस को इसकी भनक तक न लगी। इससे यह पता
चलता है कि पुलिस अपराध के प्रति कितना सजग है।

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