लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी को बसपा से निष्कासित किए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बसपा में हार के कारण रार मची हुई है। हताश बसपा सुप्रीमों मायावती हार के कारणों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है और हार का ठीकरा कभी ईवीएम पर फोड़ती है तो कभी नसीमुद्दीन पर संगीन आरोप लगाकर अपनी हताशा दूर करने का प्रयास कर रही हैं।

श्री त्रिपाठी ने कहा कि उ0प्र0 की जनता ने 2014 के लोकसभा चुनावों में और 2017 विधानसभा के चुनावों में साफ बता दिया कि अब यहां जातीय राजनीति की दाल नहीं गलेगी लेकिन सपा-बसपा जैसे जाति आधारित दल इस सत्य को स्वीकार नहीं कर पा रहे है। बसपा सुप्रीमों को यह भी बताना चाहिए कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने चुनावों में किसके कहने पर धन उगाही की और उसका हिस्सा कहां-कहां पहुंचा।

श्री त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी तो सिर्फ कैशियर की भूमिका अदा कर रहे थे, दलित वोटों की असली सौदागर तो स्वयं बसपा सुप्रीमों है। बसपा छोड़ने वाले कई नेताओं ने पहले भी ये आरोप लगाए है, आज पहली बार बसपा ने इसकी स्वीकारोक्ति की है। बसपा नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी तो मोहरे मात्र है। नोटबंदी के दौरान जिस तरह से बसपा सुप्रीमो की छटपटाहट दिखी थी वो नोटों के प्रति उनकों प्रेम को दर्शा रही थी। नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने उ0प्र0 सरकार की वर्तमान मंत्री श्रीमती स्वाति सिंह व उनकी पुत्री पर जब अभद्र टिप्पणी की थी यदि तभी बसपा ने निष्कासन की कार्यवाई की होती तो जनता बसपा का ये हश्र नहीं करती। एक तरफ बसपा सुप्रीमों आरोप लगाकर नसीमुद्दीन सिद्दीकी को निष्कासित कर रही है वहीं आरोपो में घिरे अपने भाई आनंद कुमार को पार्टी में ऊँचे ओहदे से नवाज रही है। बसपा भ्रष्टाचार की पोषक है इसलिए बसपा द्वारा भ्रष्टाचार का आरोप लगाना हास्यास्पद है।