बरेली: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने कहा कि बाबर मुसलमानों का आदर्श नहीं था। अयोध्या में अगर राम के नाम पर मस्जिद बनती है तो भी मुसलमानों को कोई ऐतराज नहीं है। मस्जिद का नाम बाबरी था, जिसे बदला भी जा सकता है। शनिवार को बरेली पहुंचीं विश्व हिंदू परिषद की फायर ब्रांड नेता साध्वी प्राची ने कहा था कि देश में बाबर के नाम की कोई मस्जिद बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
जमात-ए-इस्लाम हिंद के कार्यक्रम में पहुंचे जफरयाब जिलानी से जब इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मस्जिद अल्लाह की होती है, बाबर की नहीं। हम तो कहते हैं राम के नाम से मस्जिद कर दो, हम तैयार हैं। बाबर मुसलमानों का आदर्श नहीं है, वह तो हमलावर था। तीन तलाक पर उन्होंने कहा कि इस मामले में जब तक गवाह न हो उसकी जांच होनी चाहिए। बगैर गवाह के गुस्से में और शराब के नशे में तलाक देने वालों का सामाजिक बहिष्कार किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर तलाक फोन से दिया गया है तो इसमें दो गवाह होना जरूरी है। जिस तरह निकाह में गवाह की जरूरत है उसी तरह तलाक में भी गवाहों की जरूरत है। इस पर मुफ्ती ही फैसला लें और शरीयत की रोशनी में मसले को सुलझाएं। उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम महिलाएं शरीयत के खिलाफ नहीं है। वे भी इसमें दखल नहीं चाहती हैं। सरकार को कोई दिक्कत है तो यूपी के किसी भी एक जिले में मुस्लिम महिलाओं की सभा करा लें और पूछ लिया जाए कि वे शरीयत में दखल चाहती हैं या नहीं। सच अपने आप सामने आ जाएगा।
मौके पर इंजीनियर मो. सलीम, डा. यासीन उस्मानी, डा. फरहत हुसैन, कमर आलम, डा. रफीक आदि थे। स्लॉटर हाउस बंद कर मुसलमानों को कमजोर कर रही भाजपा जफरयाब जिलानी ने कहा कि स्लाटर हाउस बंद करके भाजपा मुसलमानों को कमजोर करने का काम कर रही है। यूपी की भाजपा सरकार ने उन अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं की जिन्होंने दुकानों को लाइसेंस जारी नहीं किए। 20-20 साल से लाइसेंस न देने वाले अफसरों पर कार्रवाई होनी चाहिए थी। स्लाटर हाउस बंद कर मुसलमानों को निशाना बनाया गया है।
कॉमन सिविल कोड पर दखल बेवजह
जफरयाब जिलानी ने कहा कि कॉमन सिविल कोड पर सरकार बेवजह दखल दे रही है। देश 1947 में आजाद हुआ। 1950 में संविधान बना। बड़े-बड़े लोग प्रधानमंत्री रहे जिसमें पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक किसी ने कॉमन सिविल कोड की बात नहीं की। क्या मोदी इन सबसे बड़े हैं। संविधान आज का बना नहीं है। सुप्रीम कोर्ट चार बार फैसला दे चुका है। प्रधानमंत्री को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए था। भाजपा को इस मामले में दखल देने से पहले सोचना चाहिए।