विकास प्रीतम

एक माह से कुछ ऊपर का समय हो चुका है, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को उत्तर प्रदेश की सत्ता संभाले हुए। किसी भी सरकार के कार्यकलापों के आकलन के लिए ये बहुत ही अल्प समय है, परन्तु इस अल्पावधि में ही इस सरकार ने विविध क्षेत्रों के सम्बन्ध में लिए गए निर्णयों से इस प्रदेश की जनता के मन में इस आशा का संचार कर दिया है कि बरसों से जातिवाद, गुंडागर्दी, भ्रष्टाचार और अराजकता की मार झेल रहा ये प्रदेश अब इन समस्यायों को पीछे छोड़ कर शनैः शनैः विकास पथ पर आगे बढ़ सकेगा।यह लगभग उसी तरह का उत्साह, अपेक्षा का वातावरण है, जैसे 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद देश में दिखाई दिया था। केंद्र की मोदी जी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार हो या उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार, जनता को इनसे इतनी अपेक्षाएं, आशाएं क्यों हैं ? क्यों जनता अपनी प्रत्येक समस्या का समाधान इन सरकारों से चाहती है ? क्यों आम जन के मन में यह धारणा होती है कि भाजपा के नेता और सरकारें उसकी और देश की उन समस्यायों का भी समाधान करेंगे जिनके बारे में न कभी किसी ने सोचा और न कभी कोई गंभीर प्रयास किया गया ?

इन प्रश्नों का उत्तर हमें भाजपा और उसके नेताओं एवं अन्य दलों और उनके नेताओं की विचारधारा और कार्यशैली के अंतर में देखने को मिलता है।स्वतंत्रता के बाद से अब तक कितने ही दलों की सरकारें देश-प्रदेश में आती रहीं और उन सभी ने अपने अपने दर्शन के अनुरूप जनता के हितार्थ कार्य भी करने के प्रयास किये परन्तु एक बात स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है कि देश के समक्ष खड़ी विकराल समस्यायों से लेकर एक आम आदमी की अत्यंत जमीनी स्तर की समस्याओं का समाधान करने के लिए जिस प्रकार क्रमबद्ध तरीके से भारतीय परिप्रेक्ष्य में चिंतन मनन करते हुए कार्य किये जाने चाहिए थे, वैसा नहीं हो पाया। सदैव ही विदेशों से आयातित विचारों पर निर्भर समाधानों को यहाँ की समस्यायों को दूर करने के लिए थोप दिया गया और परिणाम यह हुआ कि समाधान तो दूर, समस्याएं दिन प्रतिदिन विकराल होती गयीं।

ऐसे में भाजपानीत सरकारें अन्य दलों की सरकारों से हमें अलग दिखाई पड़ती हैं। भारतीयता और अभारतीयता का अन्तर, अपनी जड़ों से जुड़े रहने और अपने मूल की खोज बाह्य विचारधाराओं में करने, भारत की समस्याओं का समाधान भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखने समझने ढूंढने और उन्हें विदेशों से आयात करने की प्रवृत्ति का अंतर, उन कुछ कारणों में से हैं जो भाजपा की सरकारों को अन्य दलों की सरकारों से अलग करते हैं। 2014 के बाद से मोदी जी की सरकार द्वारा प्रारम्भ की गयी योजनाओं और कार्यक्रमों पर एक दृष्टि डालने पर हमारे सामने यह स्पष्ट हो जाता है कि इस सरकार द्वारा एक के बाद एक अनेक ऐसे कार्यक्रम शुरू किये गए जिन्होंने एक आम आदमी के जीवन के प्रत्येक पहलू को पूर्णरूपेण प्रभावित किया और उसके जीवन स्तर में सुधार और वृद्धि के वाहक बने।

क्या पहले कभी किसी ने ये सोचा कि स्वच्छता को एक मिशन की तरह लिया जा सकता है और इसे एक आंदोलन के रूप में जन जन तक पहुँचाया जा सकता है।एक ऐसा विचार जिसका सम्बन्ध ना केवल जन सामान्य के स्वास्थ्य से है बल्कि पर्यटकों को अधिक संख्या में आकर्षित कर विदेशी मुद्रा कमाने से भी है।राष्ट्रीय स्वच्छता मिशन आज इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए जन जन तक पैठ बना चुका है। भारत का प्रत्येक नागरिक जीवन बीमा, दुर्घटना बीमा और पेंशन योजना से आच्छादित हो, क्या किसी और दल की सरकार कभी इस दिशा में सोच पायी और वो भी तब, जबकि अपने को गरीबों का मसीहा के रूप में प्रचारित करने वाले लोग ही अधिकाँश समय तक देश पर शासन करते रहे। मात्र 330 रूपये वार्षिक प्रीमियम के साथ प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, मात्र 12 रूपये वार्षिक प्रीमियम के साथ प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और निजी असंगठित क्षेत्र के लोगों को विशेषरूप में ध्यान में रखकर बनायी गयी अटल पेंशन योजना आज इस देश के निर्धन वर्ग को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने का महत्वपूर्ण वाहक बन रही हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, नीम कोटेड यूरिया उपलब्ध कराना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सिचाईं योजना कृषि कार्य को लाभ का कार्य बनाने की ओर अनवरत अग्रसर हैं।बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और सुकन्या समृद्धि योजना जैसे कार्यक्रम कन्या भ्रूण हत्या को रोकने और बालिका शिक्षा में सुधार और प्रोत्साहन के क्षेत्र में मील का पत्थर सिद्ध हुए हैं।प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना, राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान, प्रधानमंत्री खनिज कल्याण योजना, पहल जैसे कार्यक्रमों ने निर्धन वर्ग के लोगों के उत्थान के लिए नए अवसर उपलब्ध कराये हैं।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया जैसे कार्यक्रमों के जरिये उद्यमिता को बढ़ावा देने के ऐसे ऐसे प्रयत्न किये जा रहे हैं, जिनके सम्बन्ध में इसके पहले कभी कोई विचार नहीं किया गया। प्रधानमंत्री जन औषधि योजना, जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता बढ़ाना और इनके प्रति लोगों को जागरूक करना जैसे कदम जनसामान्य के स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार के लिए क्रांतिकारी कदम हैं। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना तो एक ऐसा क्रांतिकारी कदम है जिसने करोड़ों माताओं बहनों को धुएं की घुटन से हमेशा के लिए आजादी दे दी।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पहले दिन से ही ऐसे निर्णय लेना शुरू किया है जो सीधे जनता को प्रभावित करते हैं और जिनके बारे में पहले कभी किसी ने नहीं सोचा, उन्होने भी नहीं जो खुद को वंचितों, दलितों, शोषितों और मजलूमों का रहनुमा बताते नहीं थकते। पार्टी के संकल्प पत्र की घोषणाओं के अनुरूप छोटे और सीमान्त किसानों का ऋण माफ करना, गन्ना किसानों के बकाये का तुरंत भुगतान, आलू किसानों की सहायता के लिए आलू खरीद, रिकार्ड गेहूँ खरीद का फैसला जैसे कुछ कदमों ने किसानों में नयी आशा का संचार किया है और उन्हें ये अनुभव कराया है कि एक ऐसी सरकार आयी है जो जमीनी स्तर पर उनके लिए कार्य कर रही है।पब्लिक स्कूलों की बरसों से चल रही लूट खसोट पर पहली बार किसी सरकार ने ध्यान दिया है और इसे रोकने के प्रभावी प्रयास किये हैं जिससे इस बात की आशा बंधी है कि आने वाले समय में शिक्षा के क्षेत्र में ये सरकार आमूल चूल परिवर्तन करेगी।

गड्ढा मुक्त सड़कें, अबाध विद्युत् आपूर्ति, कानून व्यवस्था में सुधार के लिए सभी पुलिस अधिकारियों द्वारा 90 मिनट गश्त, महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के लिए एंटी रोमियो स्क्वाड, कार्यालयों में तम्बाखू-गुटखा पर रोक, स्वच्छता पर विशेष ध्यान, समय पर कार्यालय में उपस्थिति और महापुरुषों के नाम पर की जाने वाली छुट्टियां खत्म करने जैसे कदम भले ही बहुत छोटे छोटे कदम लगें पर इनका प्रभाव बहुत गहरा है जो उत्तर प्रदेश की दशा को निश्चित बदल देंगे।ऐसे कार्य केवल उन राजनेताओं और दलों द्वारा किये जा सकते हैं, जिन्हें स्वयं के लिए कुछ नहीं करना और जिनका जीवन पूर्णरूपेण राष्ट और जनता के लिए समर्पित है। भारत की गौरवशाली सस्कृति और सभ्यता में विश्वास रखने वाले मोदी और योगी जैसे नेता आज देश और प्रदेश की जनता की आशा की किरण हैं। भारत माता सौभाग्यशाली है कि उसे ऐसे पुत्र मिले और हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें ऐसे जनसेवक।अगर ये कारवाँ बढ़ता जाए तो कौन भारत को परम वैभव पर जाने से रोक सकता है !

साभार (हिफी)