लखनऊ: तेजी से बदल रही तकनीकों और उनके बढ़ते इस्तेमाल के कारण मानव मन और समाज पर पड़ने वाले उसके प्रभावों पर एमिटी इंस्टीट्यूट आॅफ बिहैवोरियल एण्ड एलाइड साइंसेज, एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर में आज एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया।

दिल्ली विश्वविद्यालय के मैनेजमेंट स्टडीज संकाय में संगठनात्मक व्यवहार की प्रोफेसर कविता सिंह ने ‘विघटनकारी नवोन्मेंषों के युग का मानवीय संपदाओं पर प्रभाव‘ विषय पर व्याख्यान दिया।
उन्होने कहा कि, जीवन में तीन चीजें परिवर्तन, मृत्यु और कर सतत रुप से रहती है। जीवन में होने वाले बदलावों का व्यापक असर होता है। आज के समय में जब जीवन तकनीकि पर आधारित होता जा रहा है तो तकनीकियों में होने वाला बदलाव भी जीवन पर प्रभाव डालता है। यह प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दानों हो सकता है।

टैक्नाॅलाजी चूंकि बड़ी तेजी के साथ बदल रही है इसलिए समाज में भी इसी के अनुरुप तेजी के साथ विभिन्न बदलाव दिखाई दे रहे है। यह बदलाव हमारे सोचने समझने की ताकत और व्यवहार में भी दिखाई देती हैं। उदाहरण के तौर पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल हम समाज में जागरुकता प्रसार के लिए भी करते हैं और भ्रामक सूचनाओं को फैलाने के लिए भी। आज के युवाओं पर इसका प्रभाव आंकलन करने और शोध करने का विषय है। आज सोशल मीडिया फेसबुक और वाट्सएप के चलते हम अपने घरों में बैठकर अपनी लोकप्रियता का अंदाजा लगा रहे हैं। हमारी एक पोस्ट पर आने वाली लाइक्स के कारण हम खुश अथवा दुखी हो रहे हैं। युवाओं में इसके कारण कई डिसआर्डर पैदा हो रहे हैं जो कि चिंता का विषय है।

डा. सिंह ने युवाओं पर तकनीकि के प्रभावों का आंकलन करने के लिए गहन शोध करने और इसके दुष्प्रभावों से उनको आगाह किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया।

इसके पूर्व निदेशिका एमिटी इंस्टीट्यूट आॅफ बिहैवोरियल एण्ड एलाइड साइंसेज प्रोफेसर मंजू अग्रवाल ने डा. कविता सिंह का स्वागत किया और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।