वहदत-ए-इस्लामी हिंद के अखिल भारतीय सम्मेलन में वक्ताओं की मानव जाति से अपील

लखनऊ। मानवता को विनाश से बचाने का एकमात्र रास्ता अल्लाह से सच्चा संबंध बनाना है। अगर हमने अब भी होश से काम न लिया तो यह अल्लाह से दूरी और नास्तिकता महाविनाश का कारण बन सकती है। उक्त विचार वहदत-ए-इस्लामी हिंद के ‘‘अल्लाह से नाता जोड़ो’’ विषयक अखिल भारतीय सम्मेलन में अमीर ‘‘वहदत-ए-इस्लामी मौलाना अताउर्ररहमान वजदी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में व्यक्त किया। गत् नवंबर 2016 से फरवरी 2017 तक ‘अल्लाह से नाता जोड़ो’ विषय पर वहदत-ए- इस्लामी हिंद द्वारा एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जा रहा था जिसका समापन सम्मेलन आज रविवार लखनऊ की टीले वाली मस्जिद के मैदान में हुआ। जिसमें देश के कई प्रमुख उलमा और बुद्धजीवियों ने लोगों को संबोधित किया। मौलाना वजदी ने अपनी बीमारी के बावजूद सम्मेलन में भाग लिया।

मुंबई के प्रतिष्ठित विद्वान मौलाना अबू जफर हस्सान नदवी ने कहा कि इतिहास ऐसी जातियों और क़ौमों की कहानियों से भरा पड़ा है जिन्होंने परमेश्वर को भुला दिया तो वह अत्यंत नैतिक पतन में पहुंच गईं और अंततः अल्लाह के अज़ाब का शिकार होकर दुनिया से मिट गईं। हमें उनके हालात से सबक़ हासिल करना चाहिए और अपने पालनहार से सही संबंध का निर्माण कर लेना चाहिए। दारुल उलूम देवबंद के प्रवक्ता मौलाना फरीदुद्दीन का़समी ने परमेश्वर से नाता जोड़ने का सही अर्थ बताते हुए कहा कि अल्लाह से सही संबंध यह है कि हम उस पर सच्चा विश्वास रखें और अपने पूरे जीवन और उसका हर हर पल उसके हवाले कर दें ताकि हमारे जीवन से उसकी अवहेलना वाली बातों का कोई संबंध नहीं रहे। यही रास्ता सच्चे सुकून का भी है, और भविष्य की सफलता का भी। नदवा के प्रवक्ता मौलाना सैयद सलमान हुसैनी नदवी ने कहा कि सच्चाई अपने मानने वालों की सदैव परीक्षा लेती रही है, हमें मजबूती से सच्चाई पर जमे रहना चाहिए और हर हाल में अल्लाह से संबंध मजबूत रखना चाहिए यही बात हमारे लिए प्रेरणादायी और उम्मीद की मूल पूंजी है। हमारा इतिहास इस बात का साक्षी रहा है। नक़ीब वहदत-ए-इस्लामी हिंद यूपी मौलाना मोहम्मद जमील सिद्दीकी ने कहा कि अल्लाह से नाता जोड़ना दरअसल अल्लाह पर सच्चा विश्वास और ईमान पर दृढ़ता से जमे रहना है। हमें अल्लाह से अधिकतम प्यार होना चाहिए और अपने जीवन को उसकी पसंद के मुताबिक गुज़ारना चाहिए और उसकी नापसन्द चीजों से हमें नफरत होनी चाहिए। हमें अल्लाह और उसके रसूल की दावत पर लब्बैक कहना चाहिए। उन्होंने अभियान और सम्मेलन के उद्देश्य बताते हुए कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि सभी मनुष्यों तक यह संदेश जाए कि सभी एक अल्लाह के बंदे हैं और अल्लाह ने इंसानों को अपनी अन्य सभी प्राणियों से बेहतर बनाया है। अब मानवता की बड़ाई तभी रह सकती है कि उनका रिश्ता अल्लाह से मजबूत हो। मुसलमानों के लिए भी हर तरह की निराशा और कमजोरी से बचने का सबसे अच्छा साधन अल्लाह से सही और मजबूत संबंध का निर्माण करना है। अल्लाह से संबंध का निर्माण रखने वाला व्यक्ति न तो बेईमान होगा और न गंदे आचरण और चरित्र का होगा होगा और न दूसरों के प्रति दुर्भावना से ग्रस्त होगा, ऐसा मनुष्य कभी क्रूर नहीं हो सकता .गरज यह है कि अल्लाह से मजबूत संबंध दरअसल मनुष्य को अविश्वास और बौद्धिक दृढ़ता और हर स्तर पर मजबूत नैतिकता और पवित्रता प्रदान करता है। लखनऊ शहर की प्रसिद्ध चिकमंडी मस्जिद के इमाम मौलाना जहांगीर आलम कासमी ने कहा कि उम्मत इस समय राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जिन बुरे हालात का सामना कर रही है उसका हल अल्लाह से मजबूत संबंध बनाने में ही है। अल्लाह से संबंध बनाने का मतलब अधिकारों व कर्तव्यों और मामलों की दुनिया से बच करके एकान्तवास होना नहीं बल्कि शिर्क और कुफ्र और जुल्म तथा अनैतिकता और नफरत से सत्य और न्याय की स्थापना व भाईचारे को सार्वजनिक करने से है। यह महान काम उम्मत उसी समय अंजाम दे सकती है जब उसका अल्लाह से मजबूत संबंध हो। जामिअतुलफ़लाह, बिलरियागंज, आजमगढ़ के नाजिम मौलाना मोहम्मद ताहिर मदनी ने जोर देकर कहा कि हमें जीवन के हर पल में सच्चा मुसलमान रहना चाहिए। अक़ीदा, नैतिकता, मानव अधिकारों के निर्वहन और अच्छाई की दावत देना और सत्य की स्थापना की कोशिश करना ही वह कार्य है जिनसे हम अल्लाह को खुश कर सकते हैं। वहदत-ए- इस्लामी के महासचिव ज़ियाउद्दीन सिद्दीकी ने उम्मत को ईमान, दृढ़ता और उत्साह से आगे बढ़ने का संदेश दिया और बताया कि उम्मत को आगे बढ़ने के लिए इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं। उन्होंने कुरान का संदेश याद दिलाया। ‘ग़म न करो, न डरो, तुम ही ग़ालिब रहोगे।’ अंत में उम्मत की बदहाली को दूर करने के लिए अल्लाह से दुआ की गई और देश व सम्पूर्ण मानवता समाज में शांति और सुकून की स्थापना के लिए प्रार्थना की गई।

अधिवेशन में देश भर के विभिन्न राज्यों और यूपी के विभिन्न जिलों से हज़ारों प्रतिनिधियों के अलावा लखनऊ एवं आसपास के मेहमानों और महिलाओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया। ज्ञात हो कि अभियान की शुरूआत 31 नवंबर 2016 को महाराष्ट्र के शहर औरंगाबाद से हुई थी।
अधिवेशन का संचालन मोहम्मद नदीम फ़लाही और हकीम अय्यूब उमरी ने किया।