लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की जनता के हित को देखते हुए राज्य में विकास सम्बन्धी गतिविधियों के संदर्भ में केन्द्रीय बजट में सहयोग की अपेक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को आज एक पत्र लिखा है।

मुख्यमंत्री ने नोटबंदी के संदर्भ में केन्द्र सरकार द्वारा 8 नवम्बर, 2016 को विमुद्रीकरण के निर्णय की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा है कि इसके कारण विगत 50 दिनों से पूरे देश में अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है। रोज की कमाई पर अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाला श्रमिक, कार्य करने के स्थान पर बैंकों में प्रतिदिन घंटों लाइन लगाने को मजबूर हुआ, जिस कारण अनेक परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गये हैं।

श्री यादव ने उल्लेख किया है कि छोटे एवं लघु उद्योग का उत्पादन एवं व्यापार प्रायः नकदी आधारित होता है। नकदी के अभाव में एक तरफ तो उत्पादन प्रभावित हुआ, वहीं दूसरी तरफ तैयार उत्पादों की बिक्री भी नहीं हो पा रही। इस कारण नियोजक श्रमिकों को वेतन देने में असमर्थ रहे एवं श्रमिकों को रोजगार से वंचित होना पड़ा है। प्रदेश में निर्माण कार्य भी बड़े पैमाने पर प्रभावित हुआ है तथा लगभग 20 प्रतिशत श्रमिक कार्य छोड़कर पलायन के लिए मजबूर हुए हैं। यह स्थिति लगभग सभी कार्यक्षेत्र में बनी हुई है, जिसके निराकरण हेतु व्यापारियों की निर्धारित नकदी आहरण की सीमा 50,000 रुपये को तत्काल हटाये जाने की आवश्यकता है।

मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश को एक कृषि प्रधान प्रदेश बताते हुए कहा है कि नोटबंदी के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति अत्यधिक विकट हो गयी है। बाजार में नगद धनराशि उपलब्ध न होने से खरीफ फसलों के उत्पादों का विक्रय प्रभावित हुआ तथा किसानों को गम्भीर आर्थिक क्षति उठानी पड़ी। साथ ही, सब्जियां, फल, फूल उत्पादित करने वाले कृषक कम मूल्य पर अपना उत्पाद बेचने को बाध्य हुए। आंकड़ों के अनुसार नोटबंदी के फलस्वरूप सरकारी, सहकारी तथा निजी क्षेत्रों में बीज का वितरण/विक्रय प्रभावित हुआ। 8 नवम्बर से 22 नवम्बर की अवधि में गत वर्ष के 1,52,374 कुन्तल की तुलना में अनुदानित बीज वितरण घटकर 81,282 कुन्तल हो गया। विवश होकर कृषकों को कम गुणवत्ता वाले बीज अथवा स्वयं उत्पादित अनाज को बीज के रूप में प्रयोग करना पड़ा। नगदी उपलब्ध न होने के कारण किसान रबी की मुख्य फसल में फास्फेटिक एवं पोटेशिक फर्टिलाइजर का प्रयोग अत्यन्त कम मात्रा में कर पाये। बैंक कर्मियों के अत्यन्त व्यस्त एवं बैंकों में भीड़ जमा रहने के कारण कृषकों को कृषि ऋण तथा किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधाएं समय से उपलब्ध नहीं हो पायीं। इन सबका उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। कृषकों की स्थिति में सुधार तभी सम्भव है यदि नगदी निकालने की सीमा 24,000 रुपये में बढ़ोत्तरी की जाय, जिससे किसान फसलों में सिंचाई, खाद/उर्वरक एवं कीटनाशकों की व्यवस्था के साथ-साथ आवश्यक कृषि संयंत्रों का क्रय भी कर सकें ताकि उत्पादकता पर और अधिक विपरीत प्रभाव न पड़े।

श्री यादव ने डिजिटिलाइजेशन के संदर्भ में कहा है कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में इसे पूर्ण रूप से अपनाये जाने की अपनी सीमायें हैं, जिस कारण तात्कालिक रूप से नगदी की पर्याप्त उपलब्धता के अभाव में आर्थिक गतिविधियां सम्भव नहीं हैं। प्रदेश के सभी बैंकों की स्थिति यह है कि न तो उनके पास पर्याप्त मात्रा में नकदी उपलब्ध हैं और न ही इनके अधिकांश ए0टी0एम0 कार्यरत हैं। प्रदेश की लगभग 20 करोड़ आबादी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा बैंक शाखाओं में पर्याप्त करेन्सी तत्काल उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाए। साथ ही, कम मूल्य के नोट की आपूर्ति बढ़ायी जाए। सुदूरवर्ती एवं बैंक शाखा रहित ग्रामों में करेन्सी की आपूर्ति मोबाइल वैन के माध्यम से सुनिश्चित की जाए। इसके अतिरिक्त, डिजिटल भुगतान को आसान बनाने के लिए 10,000 से कम आबादी वाले गांवों में कम से कम 2 पी0ओ0एस0 मशीनें अवश्य स्थापित की जाएं।

मुख्यमंत्री ने पत्र में उल्लेख किया है कि उत्तर प्रदेश में आय के स्रोत मुख्य रूप से उपभोग आधारित हैं, जिस कारण विमुद्रीकरण के फलस्वरूप राज्य की राजस्व प्राप्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में राज्य के कर-करेत्तर राजस्व लक्ष्यों की प्राप्ति अब सम्भव प्रतीत नहीं हो रही है। विमुद्रीकरण की नीति के कारण राज्य की आर्थिक गतिविधियां चरमरा गयी हैं, जिसका प्रभाव प्रदेश की विकास दर पर भी पड़ सकता है। नकदी की अनुपलब्धता के कारण निर्माता इकाइयों द्वारा निर्मित वस्तुओं का उत्पादन कम किया गया है, जिससे कच्चे माल की खरीद भी कम हो गयी है। व्यापार कम होने व ट्रान्सपोर्टेशन में कमी आने से भविष्य में राजस्व प्रभावित होगा। अतः नोटबंदी के कारण राज्य सरकार के राजस्व में हो रही हानि की प्रतिपूर्ति पर केन्द्र सरकार द्वारा गम्भीरता से विचार किया जाए। इसके अतिरिक्त केन्द्र सरकार द्वारा आगामी वर्ष में प्रदेश में वृहद स्तर पर मूलभूत अवस्थापना (इन्फ्रास्ट्रक्चर) में निवेश किया जाना चाहिए, जिससे जहां एक तरफ रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, वहीं दूसरी ओर प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा।

प्रदेश सरकार द्वारा 7वें वेतन आयोग की संस्तुतियों को लागू करने के निर्णय का उल्लेख करते हुए श्री यादव ने लिखा है कि वेतन/पेंशन पुनरीक्षण के फलस्वरूप राज्य के वचनबद्ध व्यय में लगभग 25,000 करोड़ रुपये की व्यापक वृद्धि होगी। वित्तीय वर्ष 2016-17 की दूसरी छमाही में विमुद्रीकरण की नीति के कारण प्राप्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने से राज्य के विकास हेतु पूंजीगत परिसम्पत्तियों के सृजन के लिए आवश्यक धनराशि संकुचित हो जाएगी। ‘उत्तर प्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबन्धन अधिनियम’ के अन्तर्गत ऋण लेने की सीमा निर्धारित है, जिसका परिपालन राज्य के लिए बाध्यकारी है। अतः वर्तमान परिदृश्य के दृष्टिगत विकासात्मक योजनाओं को सुचारू रूप से वित्त पोषित किये जाने के लिए अनुरोध है कि राज्यों के लिए निर्धारित ऋण सीमा को सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत कर दिया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि केन्द्रीय पुरोनिधानित योजनाओं के अन्तर्गत सर्वशिक्षा अभियान एवं आई0सी0डी0एस0 में राज्य सरकार द्वारा अपने संसाधनों से वेतन का नियमित रूप से भुगतान किया जा रहा है, किन्तु केन्द्र सरकार द्वारा वांछित केन्द्रांश की धनराशि राज्य सरकार को समय से अवमुक्त नहीं की जा रही है। गत वर्ष 2015-16 का सर्वशिक्षा अभियान का लगभग 3,600 करोड़ रुपये तथा आई0सी0डी0एस0 का 132 करोड़ रुपये बकाया है। उन्होंने गत वर्ष की बकाया धनराशि के साथ-साथ वर्तमान वित्तीय वर्ष की अवशेष धनराशि को शीघ्र अवमुक्त किये जाने का अनुरोध किया है।

अपने पत्र में श्री यादव ने यह भी उल्लेख किया है कि प्रदेश में अवस्थापना सुविधाओं के विकास हेतु सरकार ने सड़कों एवं पुलों एवं एक्सप्रेस-वे के निर्माण पर विशेष बल दिया गया है। 22,000 करोड़ रुपये की लागत से पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे (लखनऊ-बलिया) का कार्य ई0पी0सी0 पद्धति पर कराया जा रहा है, जिसके निर्मित होने से प्रदेश का पूर्वी क्षेत्र राजधानी दिल्ली से एक नियंत्रित एक्सप्रेस-वे से जुड़ जाएगा तथा पूरे प्रदेश का सामाजिक एवं आर्थिक विकास होगा। रोजगार के नये अवसर सृजित होंगे तथा कृषि, वाणिज्य एवं पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने केन्द्र सरकार द्वारा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के निर्माण हेतु विशेष सहायता के रूप में कम से कम 5,000 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान किये जाने का अनुरोध किया है।

मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया है कि प्रदेश के दो महत्वपूर्ण महानगर कानपुर तथा वाराणसी में आम जनता को कम खर्च पर सुलभ परिवहन व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए मेट्रो रेल चलाया जाना प्रस्तावित है, जिस हेतु राज्य सरकार द्वारा अपने बजट में राज्य के हिस्से की अंशपूंजी का प्रावधान भी किया गया है। अतः केन्द्र सरकार द्वारा इन दोनों नगरों की मेट्रो परियोजनाओं को शीघ्र मंजूरी देते हुए समुचित सहायता दी जाए।

श्री यादव ने पत्र में कहा है कि प्रदेश का बुन्देलखण्ड क्षेत्र अत्यन्त पिछड़ा है एवं सूखे की समस्या से ग्रस्त रहता है। बुन्देलखण्ड की 24 एवं विन्ध्य क्षेत्र की 05 सरफेस सोर्स आधारित ग्रामीण पेयजल परियोजनाओं के क्रियान्वयन हेतु राज्य सरकार द्वारा नीति आयोग, भारत सरकार से कुल 2,360 करोड़ रुपये के परियोजना प्रस्तावों पर शत-प्रतिशत केन्द्रीय सहायता हेतु अनुरोध किया गया है। उन्होंने केन्द्र सरकार से प्रस्ताव पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर सहायता उपलब्ध कराये जाने की उम्मीद जाहिर की है।

मुख्यमंत्री ने उल्लेख किया है कि वर्ष 2016 में भारी बारिश एवं बाढ़ के कारण प्रदेश में 4.21 लाख हेक्टेयर कृषि क्षेत्र की फसलों में 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान हुआ है। इसके अतिरिक्त 503.54 करोड़ रुपये की सार्वजनिक परिसम्पत्तियां क्षतिग्रस्त हुई हैं। इस सम्बन्ध में राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय आपदा मोचक निधि से 812.53 करोड़ रुपये के धनराशि की स्वीकृति हेतु अनुरोध किया गया है जिस पर शीघ्र निर्णय कराते हुए धनराशि उपलब्ध करायी जाए।

श्री यादव ने कहा है कि कानून व्यवस्था को सुदृढ़ किए जाने हेतु प्रदेश सरकार की ओर से पुलिस बल आधुनिकीकरण योजना 2016-17 के अन्तर्गत अति आवश्यक उपकरण, शस्त्र, प्रशिक्षण उपकरण, वाहन, संचार, एफ0एस0एल0 आदि का 117 करोड़ रुपये तथा अतिरिक्त प्रस्ताव 562 करोड़ रुपये प्रेषित किया गया है जिस पर विचार कर योजना की स्वीकृति प्रदान कराते हुए धनराशि राज्य सरकार के पक्ष में अवमुक्त की जाए।

मुख्यमंत्री ने पत्र में उल्लेख किया है कि उत्तर प्रदेश के लिए निर्धारित ऋण सीमा के अनुसार वित्तीय वर्ष 2016-17 में 41,512 करोड़ रुपये का बाजार ऋण लिया जाना है। बाजार ऋणों के लिए केन्द्र सरकार की सरलीकृत अनुमति प्रक्रिया के अन्तर्गत चालू वित्तीय वर्ष के प्रथम नौ महीनों के लिए 31,134 करोड़ रुपये के सापेक्ष केन्द्र सरकार द्वारा 29,750 करोड़ रुपये की अनुमति ही प्रदान की गयी, जो मांग की गई अनुमति से 1,384 करोड़ रुपये कम है, जिसकी अनुमति शीघ्र प्रदान की जाए।

श्री यादव ने 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि इसके अनुसार अवार्ड अवधि के दौरान प्रथम चार वर्ष में अप्रयुक्त ऋण सीमा धनराशि को राज्यों द्वारा आगामी वर्ष में उपयोग कि जाने का विकल्प है। वित्तीय वर्ष 2015-16 में अप्रयुक्त ऋण की धनराशि 4,095 करोड़ रुपये को वित्तीय वर्ष 2016-17 की ऋण सीमा में शािमल किया जाना है, परन्तु केन्द्र सरकार द्वारा वांछित अनुमति अभी तक प्रदान नहीं की गयी है, जिसकी अनुमति शीघ्र प्रदान की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि उदय योजना के अन्तर्गत 39,133.76 करोड़ रुपये के बाॅण्ड्स राज्य सरकार द्वारा निर्गत किए गए हैं, जिन पर ब्याज और मूलधन की देयता का भार राज्य सरकार पर है। इसके अतिरिक्त, आॅपरेशनल काॅस्ट की फण्डिंग के लिए डिस्काॅम द्वारा बाण्ड जारी किए जाने हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा डिस्काम बाॅण्ड को एन0पी0ए0 की श्रेणी में माना गया है तथा बैंको से कहा गया है कि डिस्काम को ऋण दिए जाने पर पर्यवेक्षी कार्यवाही की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिसके कारण कोई भी बैंक डिस्काम बाॅण्ड्स में निवेश के लिए तैयार नहीं है। राज्य सरकार द्वारा यह प्रकरण ऊर्जा मंत्रालय के समक्ष उठाया जा चुका है।

मुख्यमंत्री ने इस सम्बन्ध में अनुरोध किया है कि वित्त मंत्रालय द्वारा स्थिति का आंकलन करते हुए आर0बी0आई0 के साथ परामर्श कर बैंकों को समुचित निर्देश दिए जाने चाहिए ताकि बैंक बाॅण्ड्स को लिए जाने से हिचकिचायें नहीं।